Book Title: Gnatadharmkathanga Sutram Part 01
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
६०८
ज्ञाताधर्मकथास्तो भूता तामेव दिश प्रतिगना। ततः खलु मा भद्रा सार्थवाही सम्पूर्ण दोहदा यावत् तं गर्भ सुखं मुखेन परिवहति । ततः खलु सा भद्रा सार्थवाही नवसु मासेषु वहुमतिपूर्णेषु अष्टिमेषु रात्रिन्दिवेषु (व्यतीतेपु) सुमारपाणिपादं यावत् दारकं प्रजनिता। ततः खलु तम्य दारकस्य अम्बापितरौ प्रथमे दिसे जातकर्म कुरुतः कृत्वा तथैव यावत् पिपुलमशन पान खाद्य स्वाद्यमुपस्कारयतः, उपस्कार्य य सद्धि त विपुलं असण ४ जाय परिभुजमाणी य दोहल विणेइ) उसके बाद उन मित्र ज्ञाति निजक, स्वजन, संवन्धी, परिजन की नगर महिलाओं के माथ २ उम ४ चारों प्रकार के आहार को किया कराया और अपने दोहले की पूर्ति की (विणिइत्ता जामेदिसि पउन्भूया तामेव दिसि पडिगयो) दोहले की पूर्ति कर वह फिर जिस दिशा से प्रकट हुई थी-आई थी उमी दिशा की ओर चली गई। अर्थात अपने घर पहुच गई (तएणं सा मदा सत्यवाही संपुन्नडोहला जाव त गठभं मुहं सुहेण परिवह) इसके अनन्तर उस भद्रा सार्थवाहीने कि जिसका गर्भ मनोरथ अच्छी तरह परिपूर्ण हो गया है यावत् अपने गर्भ को भलीभांति से सुख पूर्वक परिवहन किया। (तएण सा सदा सत्यवाही गवण्ड मासाग बहुपडिपुण्णाण अद्वराईदियाण मुकुमालपाणिपाय दारण पयाया) बाद में जब गर्भ के ठीक नौ मास ७|| साढे सात दिन समाप्त हो चुके तब उसने सुकुमार कर चरणवाला पुत्र को जन्म दिया। (तएणं तस्स दारगस्म अम्मापियरो पढमे दिवसे जाय कम्न फरेंति, करिता तहेव विउल असणं ४ उवक्खडावेंति) इसके बाद संवधिपरियणणगरमहिलाहि य सद्धिं त विपुलं असण ४ जात्र परिभुजमाणी य दोडल पिणेह) त्या२ मा तेणे याताना सधानी नानी સ્ત્રીઓ સાથે ચારે જાતને આહાર કર્યો. અને કરાવડાવ્યે આ રીતે તેણે પિતાના होडनी पूति ४१ (विरोइत्ता जामेव दिसि पाउन्भूया तामेव दिसिं पडिगया) होड पूति ध्या ४ ते त्याथी मावी ती. त्यां यादी 5 सेट ते तेना धे२ पडी (तए ण सा भदा सत्यवाही संपुन्नडोहला जाव तं गम्भं सुहं सुहेणं परिवहइ) त्या२ पछी पूर्ण होता भद्रा साथ वाडी सुमेथी पोताना गलने परिवहन ४२ती २७वा सी (तए ण सा भद्दा सत्यवाही णवह मासाणं वहुपडिपुण्णाणं अट्टराईदियाण सुकुमालपाणि पायं दारगं पयाया) मा प्रमाणे गम न्यारे १२२ नव भास भने सास सात દિવસ રાત થયે ત્યારે ભદ્રાસાર્થવાહીએ સુકેમળ હાથ પગ વાળા પુત્રને 1. Pाये (तए ण तस्स दार गक्ष अम्मापियरो पढमे दिवसे जायकम्म करे ति करित्ता तहेव जाप विउल असण ४ उवक्खडावे ति) त्या२ पछी