Book Title: Divsagar Pannatti Painnayam Author(s): Punyavijay, Suresh Sisodiya, Sagarmal Jain Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit SamsthanPage 15
________________ दीवसागरपण्णत्तिपइण्णयं विधिमार्गप्रपा में उल्लिखित इन प्रकीर्णकों के नामों में 'द्वीपसागरप्रज्ञप्ति' और 'संग्रहणी' को भिन्न-भिन्न प्रकीर्णक बतलाया गया है जबकि द्वीपसागरप्रज्ञप्ति का नामोल्लेख द्वोपसागरप्रज्ञप्ति संग्रहणी गाथा (दीवसागरपण्णत्ति संगहणी गाहाओ) रूप में मिलता है । हमारी दृष्टि से विधिमार्गप्रपा में सम्पादक की असावधानी से यह गलती हुई है। वस्तुतः 'द्वीपसागरप्रज्ञप्ति' और 'संग्रहणी' दो भिन्न प्रकीर्णक नहीं होकर एक ही प्रकीर्णक है। विधिमार्गप्रपा में यह भी बतलाया गया है कि द्वीपसागरप्रज्ञप्ति का अध्ययन तीन कालों में तीन आयम्बिलों के द्वारा होता है।' पुनः इसी ग्रन्थ में आगे चार कालिक प्रज्ञप्तियों का उल्लेख है, जिनमें द्वीपसागर प्रज्ञप्ति भी समाहित है। टिप्पणी में इन चारों प्रज्ञप्तियों के नामों का उल्लेख है। ___ यद्यपि आगमों की शृंखला में प्रकीर्णकों का स्थान द्वितीयक है, किन्तु यदि हम भाषागत प्राचीनता और विषयवस्तु की दृष्टि से विचार करें तो प्रकोर्णक, कुछ आगमों की अपेक्षा भी महत्त्वपूर्ण प्रतीत होते हैं। प्रकीर्णकों में ऋषिभाषित आदि ऐसे प्रकीर्णक हैं, जो उत्तराध्ययन और दशवैकालिक जैसे प्राचीन स्तर के आगमों की अपेक्षा भी प्राचीन हैं।' ग्रन्थ में प्रयुक्त हस्तलिखित प्रतियों का परिचय ____ मुनि श्री पुण्यविजयजी ने इस ग्रन्थ के पाठ निर्धारण में निम्न प्रतियों का प्रयोग किया है१, प्र० :प्रवर्तक श्री कांतिविजयजी महाराज की हस्तलिखित प्रति । २. मु० : मुनि श्री चंदनसागर जी द्वारा संपादित एवं चंदनसागर ज्ञान भण्डार, वेजलपुर से प्रकाशित प्रति । ३. हं० : मुनि श्री हंसविजय जी महाराज की हस्तलिखित प्रति । हमने क्रमांक १ से ३ तक की इन पाण्डुलिपियों के पाठ भेद मुनि पुण्यविजयजी द्वारा संपादित पइण्णयसुत्ताई नामक ग्रन्थ से लिए हैं। इन पाण्डुलिपियों की विशेष जानकारी के लिए हम पाठकों से पइण्णय १. दीवसागरपण्णत्ती तिहिं कालेहि तिहिं अंबिलेहिं जाइ। २. विधिमार्गप्रपा, पृष्ठ ६१, टिप्पणी २ । ३. ऋषिभाषित आदि की प्राचीनता के सम्बन्ध में देखें डॉ० सागरमल जैन-ऋषिभाषित एक अध्ययन (प्राकृत भारती संस्थान, जयपुर) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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