Book Title: Divsagar Pannatti Painnayam
Author(s): Punyavijay, Suresh Sisodiya, Sagarmal Jain
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan

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Page 36
________________ २७ श्वेताम्बर परम्परा मान्य आगम ग्रन्थ [९] ते णं सिद्धायतणा एगं जोयणसयं आयामेणं, पण्णासं जोयणाईविक्खंभेणं, बावत्तरि जोयणाई उड्ढं उच्चत्तेणं ।। (स्थानांगसूत्र, ४/२/३३९ ) तत्थ णं जे से पुरथिमिल्ले अंजणगपव्वते, तस्स णं चउद्दिसिं चत्तारि गंदाओ पुक्खरिणोओ पण्णत्ताओ, तं जहा-णंदुत्तरा, . णंदा, आणंदा, णंदिवडणा। (स्थानांगसूत्र, ४/२/३४०) [११] ताओ णं णंदाओ पुक्खरिणीओ एगं जोयणसयसहस्सं आयामेणं पण्णासं जोयणसहस्साई विक्खंभेणं, दसजोयणसताई उव्वेहेणं । (स्थानांगसूत्र, ४/२/३४०) [१२] (1) तासि णं पुक्खरिणोणं पत्तेयं-पत्तेयं चउदिसि चत्तारि वणसंडा पण्णत्ता, तं जहा-पुरतो दाहिणे णं, पच्चत्थिमे णं उत्तरे णं। पुवणं असोगवणं, दाहिणओ होइ सत्तवण्णवणं । अवरे णं चंपगवणं, चूयवणं उत्तरे पासे ॥ (स्थानांगसूत्र, ४/२/३४० ) (1) विजयाए णं रायहाणीए चउद्दिसि पंचपंचजोयणसयाइं अबाहाए,. एत्य णं चत्तारि वणसंडा पण्णत्ता, तं जहा-असोगवणे,. सत्तिवण्णवणे, चंपकवणे, चूयवणे । पुरथिमेणं असोगवणे, दाहिणेणं सत्तिवण्णवणे, पच्चत्थिमेणं चंपगवणे उत्तरेणं चूयवणे । ते णं वणसंडा साइरेगाई दुवालस जोयणसहस्साई आयामेणं पंचजोयणसयाई विक्खंभेणं पण्णत्ता पत्तेयं पत्तेयं पागारपरिक्खित्ता किण्हा किण्होभासा वणसंडवण्णओ. भणियब्वो जाव बहवे वाणमंतरा देवा य देवीओ य।। (जीवानीवाभिगमसूत्र, ३/१३६ (i) ) [१३] तासि णं पुक्खरिणीणं बहुमज्झदेसभागे चत्तारि दधिमुहगपव्वया पण्णत्ता । ते णं दधिमुहगपव्वया चउसटुिं जोयणसहस्साई उड्ढं उच्चत्तेणं, एग जोयणसहस्सं उव्वेहेणं, सव्वत्थ समा पल्लगसंठाणसंठिता दस जोयणसहस्साई विक्खंभेणं एक्कतीसं जोयणसहस्साइं छच्च तेवीसे जोयणसते परिक्खेवेणं सबरयणामया. अच्छा जाव पडिस्वा। (स्थानांगसूत्र, ४/२/३४०) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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