Book Title: Divsagar Pannatti Painnayam
Author(s): Punyavijay, Suresh Sisodiya, Sagarmal Jain
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan

View full book text
Previous | Next

Page 136
________________ गाथा ७७ ३६ १ १६७ १२५ भा परिशिष्ट गाथा क्रमांक क्रमांक फलिहे रयणे भवणे १२१ वहरपभ वइरसारे बत्तीस सया बत्तीस उत्तरा १७१ वड्ढंति एगपासे बहुमज्झदेसे पेटिय पासाणं च दहाणं विक्खंभपरिक्खेवो बायालीस सहस्सा विक्खंभेणंजणगा बायालीस सहस्से बाराणं विक्खंभो विजए य वेजयंते विजया य वेजयंती बावन्ना बायाला विज्जयकुमारीणं दक्खिणे १४८ वित्थिण्णो पणुवीस १७३ भद्दा य सुभद्दा या १५४ वीसं जोयणकोडी २३ भिगंग-रूइल-कज्जल- ३७ वेरुलिय मसारे खल भूया भूयवडिंसा ६६ रोयणपभकते २१४ स मज्झे होइ चउण्हं ८९ सक्कस्स देवरण्णो जाओ ९८ मणिप्पभे मणिहंसे य सक्कस्स देवरण्णो तायत्तीसाण १०८ मणिप्पभे य मणिहिये ७८ सक्कस्स देवरग्णो तायत्तीसा १०३ माणवगस्स य पुवण १९८ सक्कस्स देवरण्णो सामाणा १५० मुहमंडव पेच्छाहर सत्तरस एक्कवीसाइजोयण २ सत्तरस एक्कवीसाइजोयण १६८ सत्तरस एक्कवीसाईपएसाणं १७० रयणप्पहा य रयणा सत्तेव जोयणसए ८३ रयणमओ पउमाए सत्तेव जोयणसया रयणमुहा उ दहिमुहा सत्तेव सहस्सा खलु ११५ रयणस्स अवरपासे सयभेगं पणुवीसं १८७ स्यगवरस्स उ बाहिं सन्वरयणस्स अवरेण रुयगवरस्स य मज्झे ११२ सव्वुत्त (? सम्वट्ठ) मणोरह १६२ रुयगस्स उ उस्सेहो ११३ सम्वेसि तु वणाणं - ४७ रुयगाओ समुद्दामो संखदलविमलनिम्मलदहिषण ५० संखवरे दीवम्मि य १६० लच्छिमई सेसमई १३० सिवमंदिरा उ चोइससहस्सिया २११ २०२ १७२ १४९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 134 135 136 137 138 139 140 141 142