Book Title: Divsagar Pannatti Painnayam
Author(s): Punyavijay, Suresh Sisodiya, Sagarmal Jain
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan

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Page 135
________________ द्वीपसागरप्रज्ञप्ति प्रकीर्णक १८६ १६५ ४५ १३ गाथा क्रमांक गाथा क्रमांक दामड्ढी हरिवारण १५९ पलिओवमट्टिईया एएसु १२७ दारपमाणा चउरो १८३ पलिओवमट्टिईया नागकुमारा ८४ दारप्पमाणसरिसो पलिओवमं दिवढं १४१ दीव-दिसा-अग्गीणं २२३ पहरणकोसो इदज्झयस्स १९९ दीवाहिवईण भवे पंचेव य कोडीओ २२ देवकुरु उत्तरकुरा पंचव सहस्साई दो कोडिसहस्साई ७१ पागारपरिक्खित्ता सोहंते दो चेव जंबुदीवे २२१ पायारो नायव्वो १७७ पासायस्स उ पुव्वुत्तरेण १८८ धरणस्स नागरण्णो पियदंसणे पभासे १५७ पुक्खरणीण चउदिसि नगरीए उत्तरेण पुक्खरवरदिवढं नर-मगर-विहग-वालग- ३९ पुन्वाइआणुपुवी नव चेव सहस्साई चत्तारि पुवुत्तररइकरगे नव चेव सहस्साइं पंचेव २९ पुग्वेण अट्ठ कूडा नवमे य सिलप्पवहे पुग्वेण अयलभद्दा नंदिसेणे अमोहे य १५ पुवेण असोगवणं पुग्वेण उ वेरूलियं नंदुत्तरा य नंदा १२८ पुग्वेण तिण्णि कूडा नाणारयणविचित्ता अणोवमा- १२२ नाणारयणविचित्ता अणोवमा- १२४ पुव्वेण नंदिसेणा पुषेण य वेरूलियं १३९ नाणारयणविचित्ता उज्जोवंता १२० पुन्वेण सोत्थिकूडं १४२ नाणारयणविचित्ता उज्जोवेंता १२६ पुव्वेण होइ नंदा पुन्वेण होइ भद्दा पउमवरवेइयाए १८५ पुत्रवेण होइ वरुणा पउमुत्तर नीलवंते १४४ पुन्वेण होइ विजया पढमा उ सयसहस्सा पुग्वेण होइ विमलं पढमा उ सयसहस्से १५२ पुग्वेण होइ सोमा पढमे सयंपमे चेव पुव्वेण होति कडा पत्तेयं पत्तेयं सिहरतले ५१ पुव्वेणं तु विसाला पन्नासं पणुवीसं १७८ पेच्छाधराण पुरओ पभे य सुप्पभे चेव परिसाणं चेव तहा २१५ फलया तहियं नागदंतया १३७ ५७ १०५ ९५ २०८ ९७ १५८ फ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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