Book Title: Divsagar Pannatti Painnayam
Author(s): Punyavijay, Suresh Sisodiya, Sagarmal Jain
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan

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Page 58
________________ श्वेताम्बर परम्परा मान्य आगम ग्रन्थ ४९ [ ४७ ] (i) तेसि णं वयरामयाणं अक्खाडगाणं बहुमाज्झ-देसभागे पत्तेयंपत्तेयं मणिपेढया पण्णत्ता । ताओ णं मणिवेढियाओ अटू जोयणाई आयाम - विक्खंभेणं, चत्तारि जोयणाई बाहल्लेणं, सव्वमणिमईओ अच्छाओ जाव पडिरूवाओ || ( राजप्रश्नीयसूत्र, १६५ ) (ii) तेसि णं चेइयरूक्खाणं पुरतो पत्तेयं-पत्तेयं मणिपेढियाओ पण्णत्ताओ । ताओ णं मणिपेढियाओ अट्ठ जोयणाई आयामविक्खंभेणं चत्तारि जोयणाई बाहल्लेणं सव्वमणिमईओ अच्छाअ जाव पडिवाओ । ( राजप्रश्नीयसूत्र, १६८ ) (iii) तस्स णं सिद्धायतणस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महेगा मणिपेढिया पण्णत्ता - सोलस जोयणाइं आयाम - विश्खमेणं, अट्ठ जोयणाई बाहल्लेणं ॥ ( राजप्रश्नीयसूत्र, १७८ ) (iv) तेसि णं वइरामयाणं अक्खाडगाणं बहुमज्झदेसभाए पत्तेयं पत्तेसं मणिपीठिया पण्णत्ता । ताओ णं मणिपीढियाओ जोयणमेगं आयाम - विक्खंभेणं अद्धजोयणं बाहल्लेणं सव्वमणिमईओ अच्छाओ जाव पडिरूवाओ | ( जीवाजीवाभिगमसूत्र, ३ / १३७ (२) ) (v) तेसिं णं चेइयरूक्खाणं पुरओ तिदिसि तओ मणिपेढियाअ पण्णत्ताओ ताओ णं मणिपेढियाओ जोयणं आयामविक्खंभेण अद्धजोयणं बाहल्लेणं सव्वमणिमईओ अच्छाओ जाव पडिरुवाओ ॥ ( जीवाजीवाभिगमसूत्र ३ / १३७ (४) ) (vi) तस्स णं सिद्धायतणस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं एगा महं मणिपेढिया पण्णत्ता दो जोयणाई आयामविक्खंभेणं जोयणं बाहल्लेणं सव्वमणिमयी अच्छाओ जाव पडिरूवाओ || ( जीवाजीवाभिगमसूत्र, ३ / १३९ (१) ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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