Book Title: Divsagar Pannatti Painnayam
Author(s): Punyavijay, Suresh Sisodiya, Sagarmal Jain
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan

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Page 105
________________ दीवसागरपण्णत्तिपइण्णयं [गा० ९८-१०१. कुडलवरम्भतरे सक्कोसाणऽगमहिसीणं रायहाणीओ] सक्कस्स देवरन्नो जाओ उ हवंति अग्गमहिसीओ। तासि पि य पत्तेयं अटेव य रायहाणीओ ॥९८॥ जन्नामा देवीओ तन्नामा होंति रायहाणीओ। सक्कस्स देवरन्नो ताओ उ हवंति दक्खिणओ ॥ ९९ ॥ ईसाणदेवरनो जाओ उ हवंति अग्गमहिसीओ। तासि पि य पत्तेयं अट्रेव य रायहाणीओ ॥ १०० ।। जन्नामा देवीओ तन्नामा होति रायहाणीओ। ईसाणदेवरन्नो तासिं तु हवंति उत्तरओ ॥ १०१॥ [गा० १०२-१०९. कुडलवरबाहिं तायत्तीसगाणं तवग्गमहिसीणं च रायहाणीओ] कुंडलवरस्स बाहिं छसु चेव हवंति सयसहस्सेसु ६००००० । तेत्तीसं ३३ रइकरगा उ पव्वया तत्थ रम्मा उ ।। १०२ ।। सकस्स देवरन्नो तायत्तीसा हवंति जे देवा। उप्पायपव्वया खलु पत्तेयं तेसि बोद्धव्वा ।। १०३ ॥ एत्तो एक कस्स उ चउद्दिसि होति रायहाणीओ। जंबुद्दीवसमाओ विक्खंभाऽऽयामउत्ताओ' ।। १०४ ॥ पठमा उ सयसहस्सा, बिइया तिसु चेव सयसहस्सेसु । पुव्वाइआणुपुव्वी तासिं नामाई कित्ते हं॥ १०५ ॥ विजया १ य वेजयंती २ जयंति ३ अवराइया ४ य बोद्धव्वा । तत्तो य नलिणनामा ५ नलिणगुम्मा ६ य पउमा ७ य ।। १०६ ।। तत्तो य महापउमा ८ अटेव य होति रायहाणीओ। चकज्झया १ य सच्चा २ सव्वा ३ वयरज्झया ४ चेव ॥ १०७॥ १. °यामओ ताओ प्र० मु०। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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