Book Title: Divsagar Pannatti Painnayam
Author(s): Punyavijay, Suresh Sisodiya, Sagarmal Jain
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
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२३
दीवसागरपण्णत्तिपइण्णयं सक्कस्स देवरण्णो तायत्तीसाण अग्गमहिसीणं । तासिं खलु पत्तेयं अटेव य रायहाणीओ ॥ १०८ ॥ जन्नामा से देवी तन्नामा तासि रायहाणीओ। ईसाणदेवरन्नो तायत्तीसाण उत्तरओ ॥ १०९ ॥
[ गा० ११०. कुडलसमुद्दो] बावन्ना बायाला छलसीई दस य जोयणसहस्सा ५२४२८६१०००० । गोतित्थेण विरहिअं खेत्तं खलु कुंडलसमुद्दे ।। ११० ।।
[गा० १११. रुयगदीवो] दसकोडिसहस्साइं चत्तारि सयाइं पंचसीयाई । छावत्तरिं च लक्खा १०४८५७६००००० विक्खंभो रुयगदीवस्स ॥१११।।
[गा० ११२-११६. रुयगनगो] रुयगवरस्स य मज्झे णगुत्तमो होइ पव्वओ रुयगो। पागारसरिसरूवो रुयगं दीवं विभयमाणो ॥ ११२ ।। रुयगस्स उ उस्सेहो चउरासीई भवे सहस्साई ८४००० । एगं चेव सहस्सं १००० धरणियलमहे समोगाढो ॥ ११३ ॥ दस चेव सहस्सा खलु बावीसं १००२२ जोयणाई बोद्धन्वा । मूलम्मि उ विक्खंभो साहीओ रुयगसेलस्स ।। ११४ ॥
सत्तेव सहस्सा खलु बावीसं जोयणाई बोद्धव्वा । मज्झम्मि य विक्खंभो रुयगस्स उ पव्वयस्स भवे ।। ११५ ।। चत्तारि सहस्साई चउवीसं ४०२४ जोयणा य बोद्धव्वा । सिहरतले विक्खंभो रुयगस्स उ पध्वयस्स भवे ॥११६ ।।
[गा० ११७-१२६. रुयगनगे कूडा] सिहरतलम्मि उ रुयगस्स होंति कूडा चउद्दिसि तत्थ । पुव्वाइआणुपुव्वी तेसिं नामाई कित्ते हैं ।। ११७ ॥
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