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द्वीपसागरप्रज्ञप्ति प्रकीर्णक (१४७-१४८) दिग्हस्ति शिखरों की दक्षिण दिशा में जो विद्युतकुमारी
देवियों के शिखर हैं उन पर ( ये चार ) प्रधान विद्युतकुमारियाँ रहती हैं-(१) चित्रा, (२) चित्रकनका, (३) शतेरा और (४) सौदामिनी। ये विद्युतकुमारी देवियाँ सविशेष पल्योपम स्थिति वाली हैं।
( १४९-१५५ रतिकर पर्वत पर शक्र-ईशान सामानिक
देवों के उत्पाद पर्वत और राजधानियाँ) (१४९) रुचक पर्वत के बाहर आठ लोख चौरासी हजार ( योजन ) चलने
पर मनोरम रतिकर पर्वत हैं।
(१५०) शक्र देवराज के समान जो देव हैं उनके भी प्रत्येक के उत्पाद
पर्वत जानने चाहिए।
(१५१) इन उत्पाद पर्वतों की चारों दिशाओं में एक-एक ( देव ) की
जम्बूद्वीप के समान लम्बाई और चौड़ाई वाली राजधानियाँ कही गई हैं।
(१५२) प्रथम राजधानी एक लाख योजन की है इसी प्रकार दूसरो आदि
अन्य राजधानियाँ भी एक-एक लाख योजन की हैं । पूर्व आदि दिशाओं के अनुक्रम से मैं उनके नामों को कहता हूँ।
(१५३) पूर्व आदि दिशाओं में अनुक्रम से ( पूर्व दिशा में ) नंदा, ( दक्षिण
दिशा में ) नन्दवती, पश्चिम दिशा में नन्दोत्तरा तथा उत्तर दिशा में नन्दिषेणा ( राजधानियाँ ) हैं।
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