Book Title: Divsagar Pannatti Painnayam
Author(s): Punyavijay, Suresh Sisodiya, Sagarmal Jain
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan

View full book text
Previous | Next

Page 129
________________ दोवसागरपण्णत्तिपइण्णय सेसा चउँ ४ आयामा, बाहल्लं दोण्णि २ जोयणा तेसिं । सव्वे य चेइयदुमा अट्ठव ८ य जोयणुविद्धा ॥२०५।। छ ६ जोयणाई विडिमा उविद्धा, अट्ट ८ होंति वित्थिण्णा । खंधो वि उ जोयणिओ, विक्खंभोव्वेहओ कोसं ॥२०६।। नगरीए उत्तरेणं नवेव खलु जोयणाण लक्खा उ । अरुणोदगे समुद्दे गंतणं पंच आवासा ॥२०७॥ पढमे सयंपभे चेव १ तत्तो खलु होइ पुप्फकेऊ य २। पुप्फावत्ते ३ पुप्फप्पभे ४ य पुप्फुत्तरे पासे ५ ॥२०८॥ अग्गमहिसी-परिसाणं चेव तहा नगरीओ होंति अग्गमहिसीणं । सामाणियासुराणं तावत्तीसाण तिण्हं च-परिसाणं ॥२०९।। सोमणसा उ सुसीमा सोम-जमाणं तु रायहाणोओ। बारससहस्सियाओ, बाहिं वट्टा रयणचित्ता ॥२१०|| सिवमंदिरा उ चोइससहस्सिया सा भवे उ वरुणस्स । सोलससहस्सिया वइरमंदिरा सा नलस्स भवे ॥२१॥ अवेरणं अणियाणं, चउदिसि होइ आयरक्खाणं । बारससहस्सियाओ, बाहिंवट्टा रयणचित्ता ॥२१२।। अरुणस्स उत्तरेणं बायालीसं भवे सहस्साई : ओगाहिऊण उदहि सिलनिचओ रायहाणीओ ॥२१३।। वेरोयणपभकते १ सयक्कऊ २ वुच्चए सहस्सक्खे ३ । एगसहस्से४ य तहा मणोरमे ५ पंचमे भणिए ॥२१४॥ परिसाणं चेव तहा नयरीओ होंति अग्गमहिसीणं । सामाणियासुराणं तावत्तीसाण तिण्हं च-परिसाणं ॥२१५॥ सोमणसा उ सुसीमा सोम-जमाणं तु रायहाणीओ। चोदससहस्सियाओ, बाहिं वट्टा रयणचित्ता ॥२१६॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142