Book Title: Divsagar Pannatti Painnayam
Author(s): Punyavijay, Suresh Sisodiya, Sagarmal Jain
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
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१८
दीवसागरपण्णत्तिपइण्णयं [गा० ८७-९७. कुंडलवरभंतरे सोहम्मीसाणलोगपालाणं
रायहाणीओ] कुडलनगस्स ( ? कुडलवरस्स ) अभितरपासे होंति रायहाणीओ। सोलस उत्तरपासे सोलस' पुण दक्खिणे पासे ॥ ८७!। जा उत्तरेण सोलस ताओ ईसाणलोगपालाणं । सक्कस्स लोगपालाण दक्खिणे सोलस हवंति ॥ ८८॥ मझे होइ चउण्हं वेसमणपभो नगुत्तमो सेलो। रइकरगपव्वयसमो उस्सेहुव्वेह-विक्खंभो ॥ ८९॥ तस्स य नगुत्तमस्स उ चउद्दिसिं होंति रायहाणीओ। जंबद्दोवसमाओ विक्खंभा-ऽऽयामउत्ताओ ॥९०। पुग्वेण अयलभद्दा १ मसक्कसारा य होइ दाहिणओ २। अवरेणं तु कुबेरा ३ धणप्पभा उत्तरे पासे ४ ।। ९१ ॥ एएणेव कमेणं वरुणस्स यहोंति अवरपासम्मि । वरुणप्पभसेलस्स वि चउहिसिं रायहाणीओ ।। ९२॥ पुग्वेण होइ वरुणा १ वरुणपभा दक्खिणे दिसाभाए २। अवरेण होइ कुमुया ३ उत्तरओ पुंडरिगिणी ४ य ।। ९३ ।। एएणेव कमेणं सोमस्स वि होंति अवरपासम्मि । सोमप्पभसेलस्स वि चउद्दिसिं रायहाणीओ ॥ ९४ ॥ पुवेण होइ सोमा १ सोमपभा दक्षिणे दिसाभाए २ । सिवपागारा अवरेण ३ होइ पलिणा य उत्तरओ ४ ॥९५ ॥ एणणेष कमेणं [च] अंतगस्सावि होइ अवरेणं । जमवत्तिप्पभसेलस्स चउद्दिसिं रायहाणीओ ॥ ९६ ।।
पुग्वेणं तु विसाला १ अईविसाला उ दाहिणे पासे २। : सेयपभा अवरेणं ३ अमया पुण उत्तरे पासे ४ ।। ९७॥
१. सोलस दक्खिणपासे, सोलस पुण उत्तरे पासे । इति लोकप्रकाशे सर्ग २४.
'पत्र २९९ पृ० १। २, अलयभद्दा हं० । ३. सेहुपमा प्र० हं० ।
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