Book Title: Divsagar Pannatti Painnayam
Author(s): Punyavijay, Suresh Sisodiya, Sagarmal Jain
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan

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Page 73
________________ दीवसागरपण्णतिपण्णयं [२८] रुयगस्स उ उस्सेहो चउरासीई भवे महस्साइं ८४००० । एगं चेव सहस्सं १००० धरणियलमहे समोगाढो । दस चेव सहस्सा खलु बावीसं १००२२ जोयणाई बोद्धव्वा । मूलम्मि उ विक्खंभो साहीओ रुयगसेलस्स ।। सत्तेव सहस्सा खलु बावीसं जोयणाई बोद्धव्वा । मज्झम्मि य विक्खंभो रुयगस्स उ पव्वयस्स भवे ॥ चत्तारि सहस्साई चउवीसं ४०२४ जोयणा य बोद्धव्वा । सिहरतले विक्खंभो रुयगस्स उ पव्वयस्स भवे ॥ (द्वीपसागरप्रज्ञप्ति, गाथा ११३-११६) [२९] सिहरतलम्मि उ रुयगस्स होंति कूडा चउद्दिसि तत्थ । पुव्वाइआणुपुत्वी तेसिं नामाई कित्ते हैं। (द्वीपसागरप्रज्ञप्ति, गाथा ११७) ३०] कणगे ( कंचणगे २ तवण ३ दिसासोवत्थिए ४ अरि? ५ य । चंदण ६ अंजणमूले ७ वइरे ८ पूण अट्टमे भणिए ।। नाणारयणविचित्ता उज्जोवंता हुयासणसिहा व । एए अट्ठ वि कूडा हवंति पुव्वेण रुयगस्स ॥ (द्वीपसागरप्रज्ञप्ति, गाथा ११९-१२०) ३१] फलिहे १ रयणे २ भवणे ३ पउमे ४ नलिणे ५ ससो ६ य नायवे । वेसमणे ७ वेरुलिए ८ रुयगस्स हवंति दक्खिणओ।। नाणारयणविचित्ता अणोवमा धंतरूवसंकासा। एए अट्ठ वि कूडा रुयगस्स हवंति दक्खिणओ ॥ (द्वीपसागरप्रज्ञप्ति, गाथा १२१-१२२ ) [३२] अमोहे १ सुप्पबुद्धे य २ हिमवं ३ मंदिरे ४ इ य । रुयगे ५ रुयगुत्तरे ६ चंदे ७ अट्टमे य सुदंसणे ८ ॥ नाणारयणविचित्ता अणोवमा धतरूवसंकासा। एए अट्ठ वि कूडा रुयगस्स वि होंति पच्छिमओ ।। (द्वीपसागरप्रज्ञप्ति, गाथा १२३-१२४) [३३] विजए १ य वेजयंते २ जयंत ३ अपराइए ४ य बोद्धवे । । कुंडल ५ रुयगे ६ रयणुच्चए ७ य तह सव्वरयणे ८ य॥ (द्वीपसागरप्रज्ञप्ति, गाथा १२५) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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