Book Title: Divsagar Pannatti Painnayam
Author(s): Punyavijay, Suresh Sisodiya, Sagarmal Jain
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan

Previous | Next

Page 97
________________ दोवसागरपण्णत्तिपइण्णयं [गा० ५२-५७. अंजणगपन्वयाणं पोक्खरिणीओ] जो दक्खिणअंजणगो तस्सेव चउद्दिसिं च बोद्धव्वा । पुक्खरिणी चत्तारि वि इमेहिं नामेहि विनेया ।। ५२ ॥ पुव्वेण होइ भद्दा १, होइ 'सुभद्दा उ दक्खिणे पासे २ । अवरेण होइ कुमुया ३, उत्तरओ पुंडरिगिणी उ ४ ॥ ५३ ॥ अवरेण अंजणो जो उ होइ तस्सेव चउदिसिं होति । पुक्खरिणीओ, नामेहिं इमेहिं चत्तारि विनेया ॥ ५४॥ पव्वेण होइ विजया १, दक्खिणओ होइ वेजयंती उ २ । अवरेणं तु जयंती ३, अवराइय उत्तरे पासे ४ ॥ ५५ ॥ जो उत्तरअंजणगो तस्सेव चउद्दिसिं च बोद्धव्वा । पूक्खरिणीओ चत्तारि, इमेहिं नामेहिं विनेया ॥५६॥ पुव्वेण नंदिसेणा १, आमोहा पुण दक्षिणे दिसाभाए २। अवरेणं गोत्थूभा ३ सुदंसणा होइ उत्तरओ ४ ।। ५७ ॥ [गा० ५८-७०. रइकरपव्वया सक्कोसाणदेव-देवोणं रायहाणीओ य] एक्कासि एगनउया पंचाणउइं भवे सहस्साई ८१९१९५००० । नंदीसरवरदीवे ओगाहित्ताण रइकरगा ॥ ५८ ॥ उच्चत्तेण सहस्सं १०००, अड्ढाइज्जे सए य उम्विद्धा २५० । दस चेव सहस्साई १०००० वित्थिण्णा होति रइकरगा ।। ५९ ।। एक्कत्तीस सहस्सा छ च्चेव सए हवंति तेवीसे ३१६२३ । रइकरगपरिक्खेवो किंचिविसेसेण परिहीणो । ६० ॥ एत्तो एक्क कस्स उ सयसहस्सं १००००० भवे अबाहाए । पुव्वाइआणुपुव्वी चउद्दिसिं रायहाणीओ ॥ ६१ ॥ जो पुव्वदक्खिणे रइकरगो तस्स उ चउद्दिसि होति । सक्कऽग्गमहिस्सीणं एया खलु रायहाणीओ ।। ६२ ।। देवकुरु १, उत्तरकुरा २, एया पुत्वेण दक्खिणेणं च । अवरेण उत्तरेण य नंदुत्तर ३ नंदिसेणा ४ य ।। ६३ ।। १. जीवाजीवाभिगमोपाङ्गसूत्रे लोकप्रकाशे च 'सुभद्दा' स्थाने 'विसाला' नाम दृश्यते ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142