Book Title: Divsagar Pannatti Painnayam
Author(s): Punyavijay, Suresh Sisodiya, Sagarmal Jain
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan

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Page 55
________________ ४६ दीवसागरपण्णत्तिपइण्णइयं '[४५] सेसभाण उ मज्झे हवंति मणिपेढिया परमरम्मा । तत्थाऽऽसणा महरिहा, उववायसभाए सयणिज्जं ॥ ... (द्वीपसागरप्रज्ञप्ति, गाथा २०१) [४६] मुहमंडव पेच्छाहर हरओ दारा य सह पमाणाई । थूभा उ अट्ट उ भवे दारस्स उ मंडवाणं तु ॥ उव्विद्धा वीसं, उग्गया य वित्थिण्ण जोयणद्धं तु । -माणवग महिंदझया हवंति इंदज्झया चेव ॥ (द्वीपसागरप्रज्ञप्ति, गाथा २०२-२०३) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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