Book Title: Divsagar Pannatti Painnayam Author(s): Punyavijay, Suresh Sisodiya, Sagarmal Jain Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit SamsthanPage 44
________________ श्वेताम्बर परम्परा मान्य आगम ग्रन्थ ३५ १२९] (i) तत्थ णं अट्ठ दिसाकुमारिमहत्तरियाओ महिड्ढियाओ जाव पलिओवमद्वितीयाओ परिवसंति, तं जहाइलादेवी सुरादेवी, पुढवी पउमावती। एगणासा णवमिया सीता भद्दा य अट्ठमा ॥ (स्थानांगसूत्र, ८/९७) (ii) देवीओ चेव इला १ सुरा २ य पुहवी ३ य एगनासा ४ य । पउमावई ५ य नवमी ६ भद्दा ७ सीया य अटुमिया ८॥ रूयगावरकूडनिवासिणीओ पच्चत्थिमेण जणणीणं । गायंतोओ चिट्ठति तालिवेटे गहेऊणं । (तित्थोगाली प्रकीर्णक, गाथा १५७-१५८) [३०] (i) तत्थ णं अट्ठ दिसाकुमारिमहत्तरियाओ महिड्ढियाओ जाव पलिओवमद्वितीयाओ परिवसंति, तं जहाअलंबुसा मिस्सकेसी, पोंडरिगी य वारूणी। आसा सव्वगा चेव, सिरी हिरी चेव उत्तरतो॥ (स्थानांगसूत्र, ८/९८) (ii) तत्तो अलंबुसा १ मिसकेती ( सी ) २ तह पुंडरि ( री ) गिणी ३ चेव । वारुणि ४ आसा ५ सव्वा ६ सिरी ७ हिरी ८ चेव उत्तरओ ॥ (तित्थोगाली प्रकोर्णक, गाथा १५९) [३१] कहि णं भंते ! चमरस्स असुररण्णो सभा सुहम्मा पण्णता ? गोयमा जंबुद्दीवे दोवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं तिरियमसंखेज्जे दोव-समुद्दे वीईवइत्ता अरुणवरस्स दीवस्स बाहिरिल्लातो वेइयंतातो अरुणोदयं समुदं बायालीसं जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता एत्थ णं चमरस्स असुररणो तिगिछिकूडे नाम उप्पायपव्वते पण्णत्ते, सत्तरसएक्कवीसे जोयणसते उड्ढं उच्चत्तेणं, चत्तारितीसे जोयणसते कोसं च उव्वेहेणं,"मूले वित्थडे, मज्झे संखित्ते, उपि विसाले "तस्स णं तिगिछिकूडस्स उप्पायपव्वयस्स उप्पि बहुसमरमणिज्जे""एत्थ णं महं एगे पासातवडिसए पण्णत्ते अड्ढाइज्जाइं जोयणसयाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, पणवीसं जोयणसयं विक्खंभेणं । पासायवण्णओ। उल्लोयभूमिवण्णओ। अट्ठ जोयणाइं मणिपेढिया। चमरस्स सोहासणं सपरिवारं भाणियञ्च । ( वियाहपण्णत्तिसुत्तं, शतक २ उद्देशक ८) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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