Book Title: Divsagar Pannatti Painnayam
Author(s): Punyavijay, Suresh Sisodiya, Sagarmal Jain
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan

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Page 43
________________ दीवसागरपण्णत्तिपइण्णयं [२९] इलादेवी १ सुरादेवी २ पुहई ३ पउमावई ४ य विघ्नेया। एगनासा ५ णवमिया •६ सीया ७ भद्दा ८ य अट्टमिया ॥ एयाओ पच्छिमदिसासमासिया अट्ट दिसाकुमारीओ। अवरेण जे उ कूडा अट्ठ वि रूयगे तहिं एया ॥ (द्वीपसागरप्रज्ञप्ति, गाथा १३२-१३३ ) [३०] अलंबुसा १ मीसकेसी २ पुंडरगिणी ३ वारुणी ४ । आसा ५ सग्गप्पभा ६ चेव सिरि ७ हिरी चेव उत्तरओ॥ एया दिसाकुमारी कहिया सव्वण्णु-सव्वदरिसीहिं। जे उत्तरेण कूडा अट्ठ वि रुयगे तहिं एया । (द्वीपसागरप्रज्ञप्ति, गाथा १३४-१३५) [३१] रुयगाओ समुद्दामओ दीव-समुद्दा भवे असंखेज्जा । गंतूण होइ अरुणो दीवो, अरुणो तओ उदही ॥ बायालीस सहस्सा ४२००० अरुणं ओगाहिऊण दक्खिणओ। वरवइरविग्गहीओ सिलनिचओ तत्थ तेगिच्छी ॥ सत्तरस एक्कवोसाइं जोयणसयाई १७२१ सो समुव्विरो । दस चेव जोयणसए बावीसे १०२२ वित्थडो हेट्रा॥ चत्तारि जोयणसए चउवोसे ४२४ वित्थडो उ मज्झम्मि । सत्तेव य तेवीसे ७२३ सिहरतले वित्थडो होई॥ सत्तरसएक्कवीसाइं १७२१ पए साणं सयाई गंतूणं । एक्कारस छन्नउया ११९६ वड्ढ़ते दोसू पासेसु ।। बत्तीस सया बत्तीसउत्तरा ३२३२ परिरओ विसेसूणो। .. तेरस ईयालाई १३४१ बावीसं छलसिया २२८६ परिही। रयणमओ पउमाए वणसंडेणं च संपरिक्खित्तो। मज्झे असोउववेढो, अड्ढाइलाई उविरो।। विस्थिण्णो पणुवीसं तत्थ य सीहासणं सपरिवारं। नाणामणि-रयणमयं उज्जोवंतं दस दिसाओ। (द्वीपसागरप्रज्ञप्ति, गाथा १६६-१७३) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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