Book Title: Divsagar Pannatti Painnayam Author(s): Punyavijay, Suresh Sisodiya, Sagarmal Jain Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit SamsthanPage 50
________________ श्वेताम्बर परम्परा मान्य आगम ग्रन्थ ५३८]16) सेसि णं थूभाणं पुरतो पत्तेयं-पत्तेयं मणिपेढियाओ पण्णत्ताओ ""। तासि णं मणिपेढियाणं उरि पत्तेयं-पत्तेयं चेइयरूक्खे पण्णत्ते।"..."तेसि णं चेइयरूक्खाणं पुरतो पत्तेयं-पत्तेयं मणिपेढियाओ पण्णत्ताओ। (राजप्रश्नीयसूत्र, १६७-१६८) (ii) तेसि णं चेइयथूभाणं पुरओ तिदिसिं पत्तेयं पत्तेयं मणिपेढियाओ पण्णत्ताओ ।....."तासिं णं मणिपेढियाणं उप्पि पत्तेयं पत्तेयं चेइयरूक्खा पण्णत्ता।"..."तेसि णं चेइयरूक्खाणं पुरओ तिदिसिं तओ मणिपेढियाओ पण्णत्ताओ। (जीवाजीवाभिगमसूत्र, ३/१३७ [३]-१३७ [४]) ४३९] (i) तासि णं मणिपेढियाणं उवरिं पत्तेयं-पत्तेयं महिंदज्झए पण्णत्ते । ....."तेसि णं महिंदज्झयाणं उरि अट्ट मंगलया झया छत्तातिछत्ता। तेसि णं महिंदज्झयाणं पुरतो पत्तेयं-पत्तेयं नंदा पुक्खरिणीओ पण्णात्ताओ। ताओ णं पुक्खरिणीओ एगं जोयणसयं आयामेणं, पण्णासं जोयणाई विक्खंभेण, दस जोयणाई उव्वेहेण, अच्छाओ जाव वण्णओ। (राजप्रश्नीयसूत्र, १६९-१७०) (i) तासिं ण मणिपेढियाणं उप्पि पत्तेयं-पत्तेयं महिंदझये पण्णत्ते । """तेसिं णं महिंदज्झयाणं उप्पि अट्ठमंगलगा झया छत्ताइछत्ता । लेसिं णं महिंदज्झयाणं पुरओ सिदिसि लओ गंदायो पुक्खरणीसो पण्णताओ। सानो णं पुक्सरणीओ बहरतेरस जोयणाई आयामेणं सक्कोसाइं छजोयणाइं विक्खंभेणं दस जोयणाई उव्वेहेणं अच्छाओ सण्हाओ पुक्खरिणीवण्णओ। (जीवाजीवाभिगमसूत्र, ३/१३७ [४] ) [४०] (i) तोसे णं मणिपेढियाए उरि एत्थ णं माणवए चेइएखंभे पण्णत्ते, सट्टि जोयणाई उड्ढं उच्चत्तेणं, जोयणं उव्वेहेणं, जोयणं विक्खंभेणं, अडयालीसंसिए, अडयालीसइ कोडीए, अडयालीसइ विग्गहिए सेसं जहा महिंदज्झयस्स । (राजप्रश्नीयसूत्र, १७४) (ii) तीसे णं मणिपीढियाए उप्पि एत्थ णं माणवए णाम चेइयखंभे पण्णत्ते, अट्ठमाइं जोयणाई उड्ढं उच्चत्तेणं अद्धकोसं उव्वेहेणं अद्धकोसं विक्खंभेणं छकोडीए छलंसे छविग्गहिए वइरामयवट्टलट्ठसंठिए, एवं जहा महिंदज्झयस्स वण्णओ जाव पासाईए। (जीवाजीवाभिगमसूत्र, ३/१३८ ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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