Book Title: Divsagar Pannatti Painnayam Author(s): Punyavijay, Suresh Sisodiya, Sagarmal Jain Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit SamsthanPage 46
________________ र परम्परा मान्य आगम ग्रन्थ ३७ [३२] तस्स णं तिगिछिकूडस्स दाहिणे छक्कोडिसए पणपन्नं च कीडीओ पणतीसं च सतसहस्साइं पण्णासं च सहस्साइं अरुणोदए समुद्दे तिरियं वीइवइत्ता, अहे य रतणप्पभाए पुढवोए चत्तालीसं जोयणसहस्साई ओगाहित्ता एत्थ णं चमरस्स असुरिंदस्स असुररण्णो चमरचंचा नामं रायहाणी पण्णत्ता, एगं जोयणसतसहस्सं आयाम-विक्खंभेणं जंबुद्दीवपमाणा। ओवारियलेणं सोलस जोयणसहस्साइं आयामविक्खंभेणं, पन्नासं जोयणसहस्साई पंच य सत्ताणउए जोयणसए किंचिविसेसूणे परिक्खेवेणं, सव्वप्पमाणं वेमाणियप्पमाणस्स अद्धं नेयव्वं । ( वियाहपण्णत्तिसुत्तं, शतक २ उद्देशक ८) [३३] ते णं पासायवडेंसया पणवीसं जोयणसयं उड्ढं उच्चत्तेणं बासटुिं जोयणाई अद्धजोयणं च विक्खंभेणं अब्भुग्गयमूसिय वण्णओ। ( राजप्रश्नीयसूत्र, १६२) [३४] (i) तस्स णं मूलपासायवडेंसयस्स उत्तरपुरस्थिमेणं एत्थ णं सभा सुहम्मा पण्णत्ता, एगं जोयणसयं आयामेणं, पण्णासं जोयणाई विक्खम्भेणं, बावत्तरि जोयणाई उड्ढे उच्चत्तेणं, अणेगखम्भ"" जाव अच्छरगण..."पासादीया । (राजप्रश्नीयसूत्र, १६३ ) (ii) तस्स णं मूलपासायवडेंसगस्स उत्तरपुरस्थिमेणं, एत्थ णं विजयस्स देवस्स सभा सुधम्मा पण्णता, अद्धतेरस जोयणाई आयामेणंछ सक्कोसाइं जोयणाइं विक्खंभेणं णव जोयणाई उड्ढं उच्चत्तेणं, अणेगखंभसयसन्निविट्ठा। (जीवाजीवाभिगमसूत्र, १३७ [1]) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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