________________ श 110 दशाश्रुतस्कन्धसूत्रम् चतुर्थी दशा सारांश यह निकला कि प्रयोग-मति-सम्पदा का गणी को सदैव ध्यान रखना चाहिए। इसके अनन्तर सूकार संग्रह-परिज्ञा नाम वाली आठवीं गणि-सम्पत् का विषय वर्णन करते हैं: से किं तं संग्गह-परिन्ना नामं संपया ? संग्गह-परिन्ना नाम संपया चउब्विहा पण्णत्ता, तं जहा–वासा-वासेसु खेत्तं पडिलेहित्ता भवइ बहुजण-पाउग्गताए, बहुजण-पाउग्गताए पाडिहारिय पीढ-फलग- सेज्जा-संथारयं उगिण्हित्ता भवइ, कालेणं कालं समाणइत्ता भवइ, अहागुरू संपूएत्ता भवइ / से तं संग्गह-परिन्ना नाम संपया ||8|| अथ का सा संग्रह-परिज्ञा नाम सम्पत् ? संग्रह-परिज्ञा नाम सम्पच्चतुर्विधा प्रज्ञप्ता, तद्यथा-वर्षावासेषु क्षेत्र प्रतिलेखयिता भवति बहुजन-प्रयोगिताये, बहुजन-प्रयोगितायै प्रातिहारिक-पीठ-फलक-शय्या-संस्तारकमवग्रहीता भवति, कालेन कालं समानेता भवति, यथागुरू संपूजयिता भवति / सेयं संग्रह-परिज्ञा नाम सम्पदा ||6|| पदार्थान्वयः-से किं तं-वह कौन सी संग्गह-परिन्ना-संग्रह-परिज्ञा नाम-नाम वाली संपया-सम्पदा है ? (गुरू कहते हैं) संग्गह-परिन्ना-संग्रह-परिज्ञा नाम-नाम वाली संपया-संपदा चउव्विहा-चार प्रकार की पण्णत्ता-प्रतिपादन की गई है तं जहा-जैसे बहुजण-बहुत मुनियों के पाउग्गत्ताए–प्रयोग के लिए वासा-वासेसु-वर्षा ऋतु में खेत्तं-क्षेत्र पडिलेहित्ता-प्रयोग के लिए पाडिहारिय-लौटाए जाने वाले पीढ-फलग-पीठफलक (चौकी) सेज्जा-शय्या संथारगं–संस्तारक उगिण्हित्ता-अवग्रहण करने वाला भवइ-है कालेन-उचित समय पर कालं-क्रियानुष्ठानादि का समाणइत्ता-अनुष्ठान करने वाला भवइ-है अहागुरू-गुरुओं की उचित रीति से-संपूएत्ता-पूजा करने वाला भवइ-है | सेतं-यही संग्गह-परिन्ना-संग्रह-परिज्ञा नाम-नाम वाली संपया-संपदा है | . . - -