Book Title: Dasha Shrutskandh Sutram
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Aatmaram Jain Dharmarth Samiti

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Page 548
________________ - 1 12 . दशाश्रुतस्कन्धसूत्रम् केवल कप्पं सम्पूर्ण, केवल–ज्ञान के समान | खलु-निश्चय से परिपूर्ण खाइम-खाद्य (खाने योग्य) पदार्थ केवल-दंसणे केवल-दर्शन खामिय=क्षमा किये हुए केवल-मरणे केवल-ज्ञान-युक्त मृत्यु खार-वत्तियं नमक (सब्जी) आदि से केवल-वर-नाण-दंसणे केवल ज्ञान और . सिञ्चित केवल दर्शन खिंसइ निन्दा करता है केवलि-पण्णत्तं केवली, भगवान् के खिप्पं शीघ्र कहे हुए | खिप्पामेव शीघ्र ही केवली केवली, केवल-ज्ञान वाला, खुद्दा क्षुद्र-बुद्धि तीर्थङ्कर और सिद्ध भगवान् खुरप्प-संठाण-संठिआ क्षुर (उस्तरे) के कोडुंबिय-पुरिसे कौटुम्बिक-पुरुष, राज्य आकार का . के सेवक-मन्त्री आदि खुर-मुंडए=क्षुर (उस्तरे) से मुंडित कोणिअ-कोणिक राजा खेत्तं क्षेत्र, स्थान को कोणिय-राया कोणिक राजा खेल-उच्चार पासवण देखो कोलावासंसि=धुन वाली लकड़ी पर गए तत्थ गए देखो कोहणे क्रोध करने वाला गएहिं गात्रों से कोह-विणएत्ता-क्रोध दूर करने वाला गच्छइ जाता है कोहाओ क्रोध से गच्छह जाओ खंध-भोयणं स्कन्ध (एक प्रकार के पौधे) गच्छामो=(हम) जाते हैं ___ का भोजन गच्छेज्जा चले, जावे खयं क्षय को गढिया आसक्त खद्धं (अत्यन्त कठोर) अधिक, प्रमाण से गणं गण, समूह अधिक गणाओ=एक गण से खमणो सहन करने वाला, सहन-शील गणि-संपया गणि-सम्पत्, आचार्य की . (साधु) 64 सम्पदाएं खमति क्षमा करता है, शान्ति से सहन गत्तु-पच्चागया जाकर फिर प्रत्यावर्तन करता है ___ करते हुए गोचरी करना, गोचरी का खमाए सामर्थ्य के लिए, सहन-शीलता के ____एक भेद लिए गद्दहेव्व गदहे के समान खमावणाए क्षमापन के लिए गंभं गर्भ

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