________________ - - शब्दार्थ-कोष 315 woo . 0 - - वदह कहो वाणियगाम-वाणिज्यग्राम नाम नगर वदिज्जा कहे वाताऽऽतवेहिं वायु और आतप से वदित्तए बोलने के लिए वायं वाद-विवाद वद्धावित्ता=बधाई देकर वाय-गुत्तीणं वचन-गुप्ति वाले वद्धावेई बधाई देते हैं वायणा-संपया-वाचना-संपत, उच्च वमे-उगल दे, छोड़ दे / अध्ययन वयइ बोलता है वारि-मज्झे पानी के बीच में वयं हम वासा-वासेसु वर्षा ऋतु में, चौमासे में वयंति कहते हैं वासाइं=वर्ष (पर्यन्त) वयणं वचन को वाहण वाहन, बलीवर्दादि वयण वदन-नयण-वसन देखो वाहण-सालं वाहन-शाला में वयण-संपया वचन-संपत् वचन-रूपी धन, | वाहणाई-वाहनों को . मीठा और स्पष्ट भाषण - वाहरमाणस्स बुलाने पर वयासी कहने लगी / विउक्कम बलात्कार से वर-दंसिणं श्रेष्ठ-दर्शन वाले, केवल-दर्शन | विउलं बहुत सा, बहुत से से देखने वाले. विउसविआणं-उपशान्त हुए वर-भंडग-मंडियाई उत्तम भूषणों से सजे विउसमणत्ताए उपशम करने के लिए विकत्तए काटने वाला वलंवाउयं-सेना-नायक को विक्खंभइत्ता-मध्य में कर | सा. (दोनों पैरों ववगय-गह-चंद-सूर-णक्खत्त ___को) फैलाकर, चौड़ाकर जोइसप्पभा जिनसे ग्रह, चन्द्रमा, विक्खेवणा-विणएणं-विक्षेपणासूर्य और नक्षत्रों की ज्योति की विनय से प्रभा दूर हो गई है विक्खोभइत्ताणं विक्षुब्ध करके ववहरमाणे व्यवहार पालन करता हुआ / विगाहिआ डुबकियां देकर वसभ-पुच्छयं वृषभ की पूंछ से बांध कर विचित्त-सुय-स्व-समय और पर-समय के दण्ड देना .. अधिगत होने से जिसके वसा वसा, चर्वी. व्याख्यानादि में विचित्रता हो वसित्तो वसता हुआ विजएणं परदेश में विजय वाएइ-पढ़ाता है, सिखाता है विजयं निश्चित भाग वाणिय-कम्मंताणि व्यपार की मण्डियां विणइत्ता स्थापन करने वाला