________________ षष्ठी दशा हिन्दीभाषाटीकासहितम् / अहम्म-पलोई, अहम्म-जीवी, अहम्म-पलज्जणे, अहम्म-सीलसमुदायारे अहम्मेणं चेव वित्तिं कप्पेमाणे विहरइ / __ स भवति महेच्छः, महारम्भः, महापरिग्रहः, अधार्मिकः, अधर्मानुगः, अधर्म-सेवी, अधर्मिष्ठः, अधर्म-ख्यातिः, अधर्म-रागी, अधर्म-प्रलोकी, अधर्म-जीवी, अधर्म-प्रजनकः, अधर्म-शील-समुदाचारोऽधर्मेण चैव वृत्तिं कल्पयन् विहरति / . . पदार्थान्वयः-स-वह नास्तिक महिच्छे-अति लालसा वाला महारंभे-महान् (कार्य) आरम्भ करने वाला महा-परिग्गहे-अधिक परिग्रह वाला अहम्मिए-अधार्मिक क्रियाओं का करने वाला अहम्माणुए-अधर्म का अनुगामी (मानने माला) अहम्म-सेवी-अधर्म सेवन करने वाला अहम्मिढ़े-जिस को अधर्म इष्ट (प्रिय) हो अहम्म-क्खाई-अधर्म में प्रसिद्ध अहम्म-रागी-अधर्म में अनुराग रखने वाला अहम्म-पलज्जणे-अधर्म उत्पन्न करने वाला अहम्म-सील-समुदायारे-अधार्मिकशील और समुदाचार धारण करने वाला भवति-होता है च-और फिर अहम्मेणं चेव-अधर्म से ही वित्तिं कप्पेमाणे-आजीविका करता हुआ विहरइ-विचरता है। मूलार्थ-वह नास्तिक, अति लालसा वाला, महान् (कार्य) आरम्भ करने वाला, अधिक परिग्रह (धन-धान्य-भूमि आदि) वाला, अधार्मिक, अधर्मानुगामी, अधर्म-सेवी, अधर्मिष्ठ, अधर्म में प्रसिद्धि वाला, अधर्म-अनुरागी, अधर्म देखने वाला, अधर्म से आजीविका करने वाला, अधर्म के लिए पुरुषार्थ करने वाला और अधार्मिक शील-समुदाचार वाला होता है और अधर्म से ही आजीवन करता हुआ विचरता है | . ____ टीका-इस सूत्र में वर्णन किया गया है कि जो व्यक्ति नास्तिक हो जाता है उसकी स्थिति डामाडोल हो जाती है / वह राज्यादि प्राप्ति की बड़ी-बड़ी इच्छाएं करने लगता है / उसकी तृष्णाएं दिन-प्रति-दिन बढ़ने लगती है / हिंसा आदि बड़े-बड़े अनर्थों के करने से भी वह नहीं हिचकता है, प्रत्युत उनमें अधिक प्रवृत्ति करता है / धन-धान्यादि महापरिग्रह होने से उसकी वासनाएं बढ़ने लगती हैं, फिर वह कट्टर अधार्मिक होकर . 04 H