________________ दशाश्रुतस्कन्धसूत्र-शब्दार्थ-कोष सङकेत-शब्द-सा. साहित्यिक अर्थ अइवत्तित्ता=अतिक्रम कर / अंड-उडं=अण्डों के समूह को अंत-कुलाणि नीच कुल अंतरायं=(उपकारी के लाभ में) ___ अन्तराय (विघ्न). अंतरासम-पदंसि गली के बीच में अंतिए पास अंतिकाओ=समीप से अंतेवासी शिष्य अंतो भीतर अंतो-नदंतं (मुखादि प्रकाश्य शब्द करने / वाली इन्द्रियों के बन्द हो जाने से) अव्यक्त शब्द करते हुए, सा. गले से बोलते हुए अंतो-वट्टा भीतर से गोल अंदुय-बंधणं जंजीरों में बांधना अंब-खुज्जस्स आम्र-कुब्जासन अर्थात् आम के फल के समान कूबड़े आसन से अंब-पेसिया आम की फांक अकम्मं दुष्ट कर्म-रहित, सा. - कर्म-रहित अकाल-सज्झाय-कारए अनुपयुक्त समय ____ में स्वाध्याय करने वाला अकिरिय-वाइ=अक्रिय-वादी, नास्तिक, जीवादि पदार्थों का अपलाप करने वाला अकुमार-भूए जो बाल-ब्रह्मचारी नहीं है अक्खमाए अक्षमा (क्षमा अथवा सहन .शीलता का अभाव) के लिए अक्खायं कहा है अक्खीण-झंझे-परिसे जो परुष कलह से ___उपरत नहीं हुआ है अगणि-काएण=अग्नि-काय द्वारा अगणि-वण्णाभा काउय देखो अग्गी अग्नि