________________ 212 दशाश्रुतस्कन्धसूत्रम् षष्ठी दशा असिणाणए, वियडभोई, मउलिकडे, दिया बंभयारी, रत्ति-परिमाणकडे / से णं एयारूवेण विहारेण विहरमाणे, जहन्नेण एगाहं वा दुयाहं वा तियाहं वा उक्कोसेण पंच मासं विहरइ / पंचमा उवासग-पडिमा / / 5 / / अथापरा पञ्चम्युपासक-प्रतिमा / सर्व-धर्म-रुचिश्चापि भवति / तस्य नु बहवः शीलव्रत....यावत् सम्यगनुपालयिता भवति / स च सामायिक ....तथैव, स च चतुर्दशी....तथैव, स चैकरात्रिकीमुपासक-प्रतिमा सम्यगनुपालयिता भवति / स चास्नातः, विकटभोजी, मुकुलीकृतः, दिवा ब्रह्मचारी, रात्रौ परिमाणकृतः, स न्वेतद्रूपेण विहारेण विहरञ्जघन्येनैकाहं द्वयहं वा त्र्यहं वा, उत्कर्षेण पञ्च मासान् विहरति / पञ्चम्युपासकप्रतिमा / / 5 / / - पदार्थान्वयः-अहावरा-इसके अनन्तर पंचमा-पांचवीं उवासग-पडिमाउपासक-प्रतिमा प्रतिपादन करते हैं / सब-धम्म-सर्व-धर्म-विषयक रुई-रुचि भवति होती है य-और तस्स-वह बहूई-बहुत से सीलवय-शीलव्रत आदि जाव-जितने व्रत हैं उनका सम्म-अच्छी तरह अणुपालित्ता-अनुपालन करने वाला भवति-होता है / से-वह सामाइयं-सामायिक और तहेव-तत्सदृश अन्यव्रतों, से-वह चउद्दसी-चतुर्दशी तहेव-तत्सदृश अष्टमी आदि के दिन पौषध, से-वह एगराइयं-एक रात्रि की उवासग-पडिमंउपासक-प्रतिमा को सम्म-भली भाँति अणुपालित्ता-अनुपालन करने वाला भवति-होता है / से-वह असिणाणए-स्नान न करना वियडभोई-रात्रि में भोजन न करना मउलिकडे-धोती के लांग न देना दिया बंभयारी-दिन में ब्रह्मचारी रत्तिपरिमाणकडे-रात्रि में मैथुन के परिमाण करने वाला होता है / से-वह एयारूवेण-इस प्रकार के विहारेण-विहार से विहरमाणे-विचरता हुआ जहन्नेण-जघन्य से एगाह-एक दिन वा-अथवा दुयाहं-दो दिन वा-अथवा तियाहं-तीन दिन वा-अथवा अधिक दिन उक्कोसेण-उत्कृष्ट से पंचमासं-पांच मास पर्यन्त विहरइ-विचरता है / यही पंचमा-पांचवीं उवासग-पडिमाउपासक-प्रतिमा है / णं-वाक्यालङ्कार और अवि-समुच्चय के लिए है।