Book Title: Chaityavandan Parvamala
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan
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पर्वमाला
[१३] अणीपरे पंचमी पाळशे, भविजन प्राणी जेह, अजरामर सुख पामशे, हंस कहे गुणगेह...१०...
[१२] युगला धर्म निवारीओ, आदिम अरिहंत, शांतिकरण श्री शांतिनाथ, जग करुणावंत...१... नेमिनाथ बावीशमा, बाल थकी ब्रह्मचारी, प्रगट प्रभावी पार्श्वदेव, रत्नत्रयी धारी...२... वर्तमान शासन घणी, वर्धमान जगदीश, पांचे जिनवर प्रणमतां, वाधे जगमां जगीश.. जन्म कल्याणक पंच रूप, सोहमपति आवे, पंच वर्ण कलशे करी, सुरगिरि नवरावे... पंच साख अंगुठडे, अमृत संचारे, वालपणे जिनराज काज, अम भक्ति शुधारे...५ पांच धाव पालीज ते, जोवन वय आवे, पंच विषय विषवेली तोड़ी, संजम मन भावे...६... छंडी पंच प्रमाद पंच, इन्द्रिय बल मोडी, पंच महाव्रत आदरे, देइ धन कोडी...७... पंचाचार आराधतां, पाम्या पंचम ज्ञान, पंच देह वजित थया, पंच ह्रस्वाक्षर मान...८... पंचमी गति भरतार तार, पूरण परमाणंद, पंचमी तप आराधतां, क्षमाविजय जिनचंद...ह...
[१३] पंचमी दिन प्रभु जनमीया, नेमि जिणंद जगभाण, अजित अनन्त सम्भव लहे,पंचमी गति गुणखाण...१...
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