Book Title: Chaityavandan Parvamala
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan
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[३६]
चैत्य वन्दन
त्रयोदशी (तेरस) नुं चैत्यवन्दन वैभारवासी अघ विनाशी, मातृ त्रिसला नन्दनं, शासनाधिप नमित सुरपति, चोवीशमो जिन चन्दनं. १ चैत्र तेरश सिते जनम्या, वीर जग जन वन्दनं, जन्म ने शिव शांति वरीया, जेष्ठ वदि तेरश दिनं. २ फाल्गुन कार्तिक पोष मासे, कृष्ण त्रयोदशी वर दिनं, श्रेयांस श्री जिन पद्म चन्द्र, चरण जग जन वन्दनं. ३ ऋषभ अष्टापदे सिद्धा, माघ वदि तेरश दिनं, जननी उदरे अजित आव्या, वैशाख सित तेरश दिनं. ४ शुक्ल त्रयोदशी जेठ मासे, संयम सुपारस जिनं, चौदमां जिननाथ जनम्या, वैशाख सित तेरश दिनं. ५ चरण श्री जिन धर्म वरीया, माघ त्रयोदशो सित दिनं, शीत तम जिम रवी टाले, पाप तिम जिन वन्दनं. ६ चतुर्दशी (चौदश) तु चैत्यवन्दन
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सितपक्ष सु चौदश मार्गसरं, जिन जन्म सुसंभवनाथ परं, उज्ज्वल वदि चौदश पोष परं, अभिनंदन शीतल नाणवरं . १ प्रभु शांति सुशांतिकरं चरणं, तिथि जेठ सुचौदश ते कृष्ण, जिन जन्म कल्याण द्वादशमं वदि चौदश फाल्गुन श्रीकरणं. २ वर संयम नाण अनंत जिनं, वदि चौदश माधव मास दिनं, जिन कुंथु सुजन्म थकी पवितं, दिन माधव चौदश तं असतं. ३ सित चौदश आषाढ़ मास दिनं, पुर चंपक पावन कार जिनं, वसुपूज्य सुतं गत मोक्ष पदं, उवज्झाय नमे अकेंदु पदं . ४
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