Book Title: Chaityavandan Parvamala
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan

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Page 54
________________ [५०] । चंत्यवन्दन जुगते जिनवर पूजीया, मयणा ने श्रोपाळ, पूजा अष्ट प्रकारनी, देववंदन त्रण काळ...३. कष्ट टळयुं उंबर तj, जपतां नवपद ध्यान, श्री श्रीपाल नरिंद थया, वाध्यो बमणो वान...४... सातसो कोढि सुख लह्या, पाम्या निज आवास, पुण्ये मुक्ति वधु वर्या, पाम्या लील विलास...५... [४] सकल मंगल परम कमला, केलि मंजुल मंदिरं, भवकोटो संचीत पाप नाशन, नमो नवपद जयकर...१ अरिहंत सिद्ध सूरीश वाचक, साधु दर्शन सुखकरं, वर ज्ञान पद चारित्र तप अ, नमो नवपद जयकर...२ श्रीपाल राजा शरीर साजा, सेवता नवपद वरं, जगमांही गाजा कीत्ति भाजा, नमो नवपद जयकरं...३ श्री सिद्धचक्र पसाय संकट, आपदा नासे परं, वळी विस्तरे सुमनोवांछित, नमो नवपद जयकरं...४ आंबिल नवदिन देववंदन, त्रण टंक निरंतरं, बे वार पडिकमणा पडिलेहण, नमो नवपद जयकरं...५ त्रिकाल भावे पूजीओ, भवतारकं तिर्थंकरं, गणणुं दोय हजार गुणीओ, नमो नवपद जयकरं...६ विधि सहित मन वचन काया, वश करी आराधी, तप वर्ष साढा चार नवपद, शुद्ध साधन साधीओ...७ गद कष्ट चूरे शर्म पूरे, यक्ष विमलेश्वर वरं, श्री सिद्धचक्र प्रताप जाणी, विजय विलसे सुखभरं...८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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