Book Title: Chaityavandan Parvamala
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan
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पर्वमाला
नमो थेराणं पांच में, पाठक पद छ?, नमो लोओ सव्व साहूणं, जे छे गुण गरि?...२. नमो नाणस्स आठमे, दर्शन मन भावो, विनय करो गुणवंतनो, चारित्र पद ध्यावो.. नमो बंभवयधारिणं, तेरमे किरियाणं, नमो तवस्स चौदमे, गोयम नमो जिणाणं...४... संयम नाण सुअस्सने, नमो तित्थस्स जाणी, जिन उत्तम पद पद्मने, नमतां होय गुणखाणी...५...
[२] चोवीश पंदर पीस्तालीशनो, छत्रीशनो करीओ, दश पचवीश सत्तावीशनो, काउस्सग्ग मन धरीओ...१ पांच सडसठ दश वळी, सीत्तेर नव पणवीस, बार अट्ठावीश लोगस्सनो, काउस्सग्ग गुणीश...२ वीश सत्तरने अकावन, द्वादश ने पंच, अणी पेरे काउस्सग्ग जो करो, तो जाओ भव संच...३ अणी पेरे काउस्सग्ग मनधरी, नवकारवाली वीश, वीश स्थानक अम जाणी, संक्षेपथी जगीश...४ भाव धरी मनमां घणोअ, जो अक पद आराधे, जिन उत्तम पद पद्मने, नमो निज कारज साधे...५
बार गुणे अरिहंतजी, प्रणमीजे भावे, सिद्ध आठ गुण समरतां, दुःख दोहग जावे...१.. पद त्रीजे पवयण तणां, पीस्तालिस सुचंग, सूरिगुण छत्तीस सही, ध्यावो भवि मनरंग...२...
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