Book Title: Chaityavandan Parvamala
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan

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Page 76
________________ [७२] चैत्य वन्दन उठो राय दीवा करो, अजुवाळो दिन मेह, आसो मासे कार्तिकी, दिवाली दिन तेह...३... मेरू थकी इंद्र आवोया, लेइ हाथमां दीवो, मेरैया ते कारणे, लोक कहे चिरंजीवो...४... कल्याणक जाणो करी, दोवा ते कीजे, जाप जपो जिनराजनो, पातिक सवि छीजे...५... बोजे दिन गौतम सुणो, पाम्यां केवलज्ञान, बार सहस गणणुं गणो, होशे कोडि कल्याण...६... सुर नर किन्नर सहु मली, गौतम ने आपे, भट्टारक पदवी देइ, सहु साथे स्थापे...७... जुहार. पटोरां ते कारणे, लोकांतिक व्यवहार, बहेने भाइ जमाडीयो, नंदीवर्धन सार...८... भाइबीज तिहां थकी, वीर तणो अधिकार, जयविजय गुरु संपदा, मेरूविजय सुखकार...६... [७] शासनना शणगार वीर, मुक्तिपुरी शणगारी, गौतमनी प्रीति प्रभु, अंत समये विसारी.. देवशर्मा प्रतिबोधवा, मोकल्यो मुजने स्वामी, विश्वासी प्रभु वीरजी, छेतर्या मुज अभिरामी...२... हा हा वीर आ शं कयु, भरतमां अंधारू, कुमति मिथ्वात्वी वधी जशे,कोण करशे अजवाळं...३... नाथ विनाना सैन्य जेम, थया अमे निरधार, इम गौतम प्रभु वलवले, आंखें आंसुडानी धार...४... Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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