Book Title: Chaityavandan Parvamala
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan
View full book text
________________
पर्वमाला
[७३]
कोण वीरने कोण तुं, जाणी अहवो विचार, क्षपक श्रेणि) आरोहता, पाम्या केवल सार...५... वीर प्रभु मोक्षे गया, दिवाली दिन जाण, ओच्छव रंग वधामणां, जस नामे कल्याण...६..
[८] देव मलिया, देव मलिया, करे उत्सव रंग...१ मेरइयां हाथे ग्रही, द्रव्य तेज उद्योत कीधो, भाव उद्योत जिनेंद्रनो, ठाम ठाम अह ओच्छव प्रसिद्धो...२ लख कोडि छठ फल करी, कल्याणक करो अह, कवि नयविमल कहे इश्यु, धन धन दहाडो तेह...३
- [६] वीर जिनवर, वीर जिनवर, चरम चौमांस...१ नयरी अपापाये आवीया, हस्तिपाल राजन सभाये, कार्तिक अमावास्या रयणीये, मुहुर्त शेष निर्वाण तांहि...२ सोल पहोर देइ देशना, पहोत्या मुक्ति मोझार, नित्य दिवाली नय कहे, मलिया नृपति अढार...३ * गौतमस्वामीना चैत्यवंदनो .
[१] गौतम गुरु आणा गये, देवशर्मा के हेत, प्रतिबोधि आवत सुना, जाण्या नहीं संकेत...१... वीर प्रभु मोक्षे गया, छोडी मुज संसार, * दिवाली ना छट्ठ मां अलग आराधना करनार माटे गौतमस्वामीना
चैत्यवंदन साथे आपी दीधा छ ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98