Book Title: Chaityavandan Parvamala
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan

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Page 57
________________ पर्वमाला [ ५३ ] आराहिया खं डियसक्किअस्स, नमो नमो संजमवीरियस्स, कम्मदुमोम्मूलण कुंजरस्स, नमो नमो तिव्वतवोभरस्स.. ५ इय नवपयसिद्धं, लद्धि विज्जा समिद्धं, पयडियसरवग्गं, ह्रीं तिरेहासमग्गं, दिसिवइ सुरसारं, खोणी पीढावयारं, तिजय विजय चक्कं, सिद्धचक्कं नमामि ...६ [=] बार गुण अरिहंतना, तेम सिद्धना आठ, छत्रीस गुण आचार्यना, ज्ञानतणा भंडार...१... पचीस गुण उवझायना, साधु सत्तावीश, श्यामवर्ण तनु शोभता, जिनशासनना इश...२... ज्ञान नमुं अकावने, दर्शनना सडसठ, सीत्तेर गुण चारित्रना, तपना बार ते जिठ...३... ओम नवपद युक्ते करी, त्रण शत अष्ट गुण थाय, पूजे जे भवी भावशुं, तेहना पातक जाय,... ४... पूज्या मयणा सुंदरी, तेम नरपति श्रीपाळ, पुण्ये मुक्ति सुख लह्या, वरीया मंगलमाळ... ५... [C] farfa...?... जास श्री सिद्धचक्र महामंत्रराज, पूजा परसिद्धि, नवणथी संपजे, संपूरण अरिहंतादिक नवपद, नित्य नवनिधि दाता, अ संसार अपार पार, होये पार विख्याता...२... For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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