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पर्वमाला
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ऋषभ चरित्र पवित्र पत्र, शाखा समुदाय, स्थविरावालो बहु कुसुम पुर, सरीखो कहेवाय...७... सामाचारी शुद्धता ओ, वर गंध वखाणो, शिवसुख प्राप्ति फल लहो, सुरतरु सम जाणो.. चोद पूर्वधर श्री भद्रबाह, कल्पे उद्धरीयो, नवमा पूर्व श्री युगप्रधान, आगम जल दरियो...६... अकवीस वार श्री कल्पसूत्र, जे सुणे भवि प्राणी, गौतमने कहे वीर जिन, परणे शिवराणी...१०... कालिकसूरि कारणे अ, पजुसण कीधां, भादरवा शुदि चोथमां, निज कारज सीधा...११... पंचमी करणी चोथमां, जिनवर वचन प्रमाणे, वीर थकी नवसें अंशी, वरसे ते आणे...१२... श्री लक्ष्मीसागर सूरीश्वरु, प्रमोद सागर सुखकार, पर्व पजुसण पालतां, होवे जय-जयकार...१३...
[१०] श्री पजोसण पर्व सेवो, भविजन सहु हरखी, आठे दिन अ नित आराधो, निज आतम परखी...१... गुण अनंत छे जेहना, धर्म ध्यान नित कीजे, प्रभु गुण सर्व संभाळीने, निज भावो लखीजे...२... कल्पतरु सम कल्पसूत्र, निज मंदिर पधरावो, गीत गान मन भावशुं, शुभ भावना भावो...३... करी वरघोडो अभिनवो, जीनशासन दीपावो, शुभ करणी अनुमोदतां, गुरु समीपे लावो...४...
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