Book Title: Chaityavandan Parvamala
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan
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पर्वमाला
[४३]
पूजा ने प्रभावना ओ, पच्चक्खाण उदार, पडिक्कमणुं वली कीजिओ, साहम्मीवच्छल सार...६... छठ करी शुभ भावशुंओ, जिन पूजा रचीजे, अष्टोतरी ने सत्तरभेदी, यथाशक्ति करीजे...७... वडाकल्पे श्री कल्पसूत्र, ओच्छव शुं आणी, नाणे सोना रुप्यने, पूजी सुणो प्राणी...८... प्रथम चरित्र वीरनुं ओ, जग जनने सुखकार, कल्प अच्छेरां दश कह्यो, भव सत्तावीश सार...६. चौद सूपन भवि सांभळो, लक्षण संयुक्त, जन्म हुओ श्री वीरनो, बीज परे भाव सूत...१०. छप्पन दिग्कुमरी करे, ओच्छव अभिराम, इंद्र सर्वे ओच्छव करी, करे जिन गुणग्राम...११... श्री सिद्धारथ नरपति, जन्मोच्छव करेय, इंद्र आणाओ धनद देव, द्रव्ये घर भरेय...१२... बाल क्रिडा दीक्षा तणो, छे बहु अवदात, केवलज्ञान लही करी, पाम्या भवपार...१३... बीज दिने श्री इंद्रभूति, वरनाण संपन्न, इत्यादिक सुणो विस्तारी, श्री वीर चरित्र...१४... तेलाधर दिवसे करोओ, अठम तप मनोहार, नागकेतु श्रावक परे, जेम होय जय-जयकार...१५... पुरिसादाणि पार्श्वनाथ, श्री नेम चरित्र, जिनपति केरां आंतरा, सुणो थई पवित्र...१६...
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