Book Title: Chaityavandan Parvamala
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan

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Page 43
________________ पर्वमाला - - मगली तणा पग छेदीया, इण कर्मे पांगुल, वदि तेरश आराधीओ, कर्म नाश होय मूल...७... पारगताय नमः सहित, आदि जिनेसर राय, दोय हजार गणणुं गणो, मेरू पंच महाराय...८. आदि जिन निर्वाणथी, मोटो दिन छे अह, मेरू तेरश जगमहीं, करे कर्मनो छेह...६... पिंगल पुत्र पांगळो, आराधे उल्लास, शुभ कर्म उदये थयो, सुदर शरीर सुवास...१०... भुक्त भोगी दीक्षा लही, केवली मुक्ते जाय, मेरू तेरश उजवता, धर्मरत्न पद थाय...११... चैत्र वदि आठम (ऋषभ जन्म-दीक्षा) मुँचत्यवन्दन चैत्र वदि आठम तणो, दिन अति मनोहार, जन्मे प्रथम जिनेसर, हुंओ जय-जयकार...१... छप्पन दिक कुमरी मली, प्रभुने हुलरावे, ऋषभ मुख देखी करी, आनंद' अति पावे...२... दीक्षा पण अहिज दिने, प्रथम यति व्रत धार, आठम दिन जिन गावता, धर्मरत्न लहे पार... चैत्र शुदि तेरश (वीर जन्म) नु चैत्यवन्दन चैत्री तेरशने दिने, जनम्या श्री महावीर, छप्पन दिक्कुमरी मली, हुलरावे प्रभु वीर...१... मेरू गीरि पर उजवे, कल्याणक महावीर, इन्द्र तणी शंका तिहां, फेडे श्री प्रभु वीर...२... ज्ञानविमल ने पामतां, भक्ति करे जे धीर, वीर प्रभु ध्याने लहुं, परम पद गंभोर...३... Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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