Book Title: Chaityavandan Parvamala
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan
View full book text
________________
पर्वमाला
शील संतोष ने धारीओ तजीओ जूठ अभिमान, मन वच काया से सेवतां, पामे अमर विमान... ७... आराधता अष्टमी तिथि, पामे भवनो पार, हंस कहे प्रभु सेवतां, पामे जय जयकार. (आमां शीतलनाथ वधारे छे बीजे नथी)
Jain Education International
...
For Private & Personal Use Only
[१५]
[२] आठ त्रिगुण जिनवर तणी, नित्य कीजे सेवा, वहाली मुज मन अति घणी, जेम गज मन रेवा...१... प्रातिहारज आठ शुं, ठकुराई छाजे, आठे मंगल आगळे, जेह ने वळी राजे...२... भांजे भय आठ मोटका अ, आठ कर्म करे दूर, आठम दिन आराधतां ज्ञान विमल भरपूर...३... [६] अष्टमी तप आराधी ओ, भाव धरी उल्लास, आठ आत्माने ओळखो, पामो लोल विलास...१... आठ बुद्धि गुण आदरो, वली अष्टांगह योग, अष्ट महा सिद्धि संपजे, नावे शोक न रोग... .२... योगदृष्टि ने आदरोओ, मित्रादिक सुखकार, अष्ट महामद टालीओ, जिम पामो भवपार...३... प्रवचन माता आठने, आदरो धरी मनरंग, आठ ज्ञान ने ओळखो, शिववधू नो करो संग...४... गणी संपदा आठमी, आठम दिने धारो, नरक तिर्यंच गति दुःखनी, तेहनो नहीं चारो... ५...
5...
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98