Book Title: Chaityavandan Parvamala
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan
View full book text
________________
[३०]
सम्भव जिनवर जनमीया, अभिनंदन लहे नाण, शीतल केवल पामीया, कुन्थु जन्म कल्याण... ७... वासुपूज्य मुक्ते गया, जन्म तिथि अह जाण, शांति अनंत दीक्षा ग्रहे, अनंत जिन केवल नाण... ८... चौदश दिन तप जे करे, पक्खी तणो उपवास, गुण ठाणो लहे चौदमो, पामे शिवपुर वास... ६... शासन नायक शोभतो, व्हालो वीर जिणंद, कीर्त्तिचंद्र मोहे दीजिये, शिव रमणी सुखकंद.... १०... [७] चतुर्दशी चारित्र तिथि, आराधो उल्लास, वासुपूज्यजी अह दिने, पाम्या शिववास...१... अभिनंदन शीतल प्रभु, तिम अनंत नु जाण, केवल कल्याणक भलु हर्ष धरी मन आण...२... अनन्त शांति दीक्षा लहे, वासुपूज्य अवतार, संभव कुन्थु जनमीया, न्याय मुनि सुखकार...३... जिन जन्मादिक कल्याणक गर्भित चैत्यवंदनो अकम नुं चैत्यवन्दन श्री कुन्थु परमात्मा, सत्तरमो जिनराय, कनक वरण शुभ देहडों, प्रणम्या पातक जाय...१... मुख सोहे पुनम शशी, अनन्त गुणी अरिहन्त, अक सहस अड लक्षणा, हस्त चरण गुणवंत...२... नन्दन सूर नरिन्दनो, सुरादेवी माय, अज लंछन चरणांबुजे, छट्टो चक्री राय...३...
For Private & Personal Use Only
चैत्यवन्दन
Jain Education International
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98