Book Title: Chaityavandan Parvamala
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan

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Page 28
________________ [२४] जे शिवसुख रसाला, पामिये सुविशाला, जिन उत्तम थुणोजे, पाद तेहना नमीजे, निजरूप समरीजे, शिव लक्ष्मी वरीजे...१६... [३] विश्वनायक मुक्तिदायक, नमि नेमि निरंजनं, हर्षधरी हरी पूछे प्रभुने, भाखो आतम हितकरं, कुण दिवस ओवो वरसमांहे, अल्प सुकृत बहुफलं, नेवुं जिननां हुआ कल्याणक, मौन अकादशी सुखकरं... १ केवली महाजण सर्वानुभूति, श्रीधर नाथओ, नमि मल्लि श्री अरनाथ जिन, साचो शिवपुर साथ, स्वयंप्रभ देवश्रुत वली, उदयनाथ जिनेश्वरं ... २नेवु अकलंक कर्म कलंक टाले, शुभंकर समरू सदा, सप्तनाथ ब्रह्मेन्द्र जिनवर गुणनाथ नमु मुदा, गांगिकनाथ सांप्रत मुनिनाथ विशिष्ठ अतिवरं... ३नेवु श्री मृदु जिनजी जगदेवता व्यक्त अरिहा वंदिओ, श्री कलारात अरण्य ध्याता सहज कर्म निकंदिओ, योग अयोगश्री परम प्रभुजी शुद्धाति नीकेशरं... ४नेव श्री सर्वार्थ सकल ज्ञायक हरिभद्र अरिहन्तओ, मगधाधिप जिनेन्द्र वंदो श्री प्रयच्छ गुणवंतओ, अक्षोभ मलयसिंह दिनरुक धनद पोषध जयकरं ... ५नेवु श्री प्रलंब चारित्रनिधि जिन प्रशमराजित ध्याइओ, स्वामी विपरीतदेव अहोनिश प्रसाद प्रेमे गाइ ओ, अघटित भ्रमणेन्द्र प्रभु ऋषभचंद्रजी अघहरं... ६नेवु For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org चैत्य वन्दन Jain Education International

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