Book Title: Bhuvanbhanu Kevali Charitram
Author(s): Indrahans Gani
Publisher: Vitthalji Hiralal Hansraj
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________________ भुवन चरित्रं // 45 // OMGDMOTHOSHODHRIRAM क्वचिन्मदात् // 18 // कुदृष्टिपुत्रिकागाढ-रागांधत्वेन नैकशः // नीतं विफलतां सर्वं / तस्मादवहितास्मना // 19 // मम वाक्यं त्वयेदानीं / श्रोतव्यं हितमात्मनः // ततो बद्धांजलिर्भूत्वा / सोपयोगः शृ| णोत्यसौ // 20 // तया प्रोक्तं समस्तीह / सद्गुणोऽमृतसागरः // चारित्रधर्मभूपालो / लब्धराज्यमहाभरः // 21 // सम्यग्दर्शनसन्मंत्री / सदागमसहोदरः // सद्बोधबांधवो ज्येष्टः / सर्वजंतुहितात्मकः // 22 // छिन्नपत्रमिवाशेषं / यन्नाम्नापि प्रकंपते // तत्सैन्यं मोहराजस्य / स्मरत्तद्वीर्यमदभुतं // 23 // निष्पिष्टो | कधा येन / कलत्रापत्यसंयुतः // स मिथ्यादर्शनो दुष्टः / प्रतिपंथी विशेषतः // 24 // धर्मप्रासादसत्पीठं न | / मुलं मोक्षतरोश्च यः॥ समग्रगुणभूपीठ-समुद्धारफणीश्वरः // 25 // न सा समृद्धिरस्तीह / न तत्सौख्यं / | न तत्पदं // यत्तुष्टो न ददात्येष / देहिनां सम्यगाश्रितः // 26 // युग्मं // तस्यास्ति दुहिता रूप-सौभा| ग्यादिगुणैकभूः // धर्मबुद्धिरितिख्याता / यथार्थाभिधया जने // 27 // या चित्तेऽपि धृता सद्यः / सुख| यत्येव देहिनः // सुधाधुनीव तस्याश्च / संगो निःसीमसौख्यकृत् // 28 // भजते जंतवो ये तां / ते त-| | दर्शितमेव हि // पश्यति तं महात्मानं / सम्यग्दर्शनमंत्रिणं // 29 // दृष्टश्च स भवत्यत्र / त्राणं निःशे-- षदेहिनां // मोहारिबलदुःखोघ-संत्रस्तमनसां सदा // 30 // नैवार्थित्वं पुनर्येषां / तदुहित्रास्ति देहिनां

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