Book Title: Bhuvanbhanu Kevali Charitram
Author(s): Indrahans Gani
Publisher: Vitthalji Hiralal Hansraj

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Page 108
________________ E भुवन चरित्र / 106 // MER of कि जिन मिल जा सात्विको जननंदनः // शिल्पविज्ञानसंयुक्तो / धनाढ्यो वरनायकः // 32 // मानी चारित्रसंपन्नो / ललि-10 | ताक्षरभाषकः // तेजस्वी स्थूलदेहश्च / कुलनो राजपूजितः // 33 // दरिद्रः पश्चिमे काले / मित्रद्वेषी | कलिप्रियः // छिद्रपादांगुलीयुक्तो / धनुर्जातो भवेन्नरः / / 34 / अष्टादशे भवेन्नो चे-मृतोऽसौ तर्हि सप्ततौ // आषाढमासे म्रियेत / श्रावणे शुक्रवासरे // 35 // स्वजनेष्टो वशः स्त्रीणां / पंडितः शीलसंयुतः॥ गीतज्ञो लांछनी गुह्ये / पुत्राढयो मातृवत्सलः। 36 // धनी त्यागी सुरूपश्च / शीतालभरिबांधवः // परिचिंतितसौख्यश्चा-स्थिरारंभः कुतुहली // 37 // मकरोत्थो मृतो नो चे-द्विशतौ सप्ततौ ततः // रेवत्यां म्रियते शला-नभस्ये शनिवासरे // 38 // दातालसः कृतघ्नश्च / गजेंद्रतुरगस्वनः॥शालूरकृक्षिनिर्भीको। धनभोगी सुसक्थिकः / 39 // स्तब्धदृष्टिश्चलो हस्ते / मानविद्याकृतोद्यमः // पुण्याढयः स्नेहहीनश्च / भोगी शुरः कविस्तथा // 40 // गुणज्ञः परकायें च / भाषकः कुंभसंभवः // सप्तविंशतिवर्षे चे-व्याघेण न हतस्तदा // 41 // सप्ताशीतितमे वर्षे / मासे भाद्रपदे तथा / म्रियते मानवः क्वापि / नीरपतनसंभवात् // 42 // गंभीरचेष्टितः शूरः / पटुवाक्यो नरोत्तमः॥ क्रोधी राज्ञो रणश्रेष्टो / न त्यागी बंधुवत्सलः॥४३ / / गांधर्ववेदको नित्यं / सेवकश्चेतरे जने // गच्छति त्वरया मागें / निर्लजः प्रियदर्शनः // 44 // सत्यो Offaloo ME DEDEO DODESI Maa EL al|| 106 //

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