Book Title: Bhuvanbhanu Kevali Charitram
Author(s): Indrahans Gani
Publisher: Vitthalji Hiralal Hansraj

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Page 106
________________ भुवन चरित्रं // 104 // // 6 // एवं गुणगणोपेतो। वृषजातो भवेन्नरः // स समानां शतं जीवेत् / पंचविशतिको यदि // 7 // न मृतश्चतुष्पदतो / मरणं रोहिणीबुधे // मिष्टान्नो दृष्टिलोलश्च / मैथुनासक्तमानसः // 8 // धनाढ्यः करुवणोपेतः / कंठरोगी जनप्रियः // गांधर्वनाट्यकुशलः / कीर्तिभागी गुणोत्कटः // 9 // दुःखितः प्रथमं भृत्वा। न पश्चात श्रीमान् भवत्यसौ // कुतुहली प्रगल्भश्च / विज्ञानी स भवेत्तथा // 10 // गौरो दीर्घः पटुचि / / a मेधावी च दृढव्रतः // समर्थो न्यायवादी च / मिथुनोभृतमानवः // 11 // जले तस्यापमृत्युः स्या-द्वत्सरे किल षोडशे // अशीतिको म्रियेतासी / पोषमासे जलानले // 12 // कार्यसारो धनासारो / धर्मिष्टो गुरु-नि | वत्सलः // शिरोरोगी महाबुद्धिः / कृशांगः कृतवेदकः // 13 // प्रवासशीलकः पांथो / बाल्ये दुःखी सुमि-19 त्रकः॥ भृत्यसेव्यो महान् वक्रो / बहुभार्यः पुत्रवांस्तथा // 14 // हस्ते श्रीवत्सशंखाभ्यां / युक्तः कर्कटकोद्भवः // पतनेन म्रियेतासौ। वर्षाणां विंशतौ नरः // 15 // दशवर्षस्य वा मृत्यु-स्त्रयोविंशतिकस्य वा॥ | अशीतो वा पुनः पौषे / मृगशीर्षे सिते निशि // 16 // श्रीमान् मानी क्रियायुक्तो / मद्यमांसप्रियस्तथा॥ देशभ्रमणशीलश्च / विनीतः शीतभीरुकः // 17 // क्षिप्रकोपी सपुत्रश्च / जननीजनवल्लभः // व्यसनी प्रकटो लोके / पिंगनेत्रः क्षुधार्तिकः // 18 // अल्पप्रज्ञो नृपे भक्तो / मिष्टान्नी विक्रमी तथा // पश्चाद्वि To RIDDOO GOODOO ROOOOOD 104 //

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