Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 12
________________ (X) ६९१ ६९१ ७०५ ७०५ ६९२ ७०५ ६९५ सातवां उद्देशक ६८९ संग्रहणी गाथा ७०४ बंध-पद ६८९ ताल-आदि जीवों में उपपात-आदि-पद ७०४ आठवां उद्देशक ६९० दूसरा वर्ग ७०४ समय-क्षेत्र में अवसर्पिणी-उत्सर्पिणी-पद ६९० नीम-आदि एकास्थिक-वृक्षों में उपपातपांच-महाव्रत-चातुर्याम-धर्म-पद ६९० -आदि-पद ७०४ तीर्थंकर-पद ६९० तीसरा वर्ग ७०५ जिनान्तरों में कालिक-श्रुत-पद हडसंधारी-आदि बहुबीजक-वृक्षों में पूर्वगत-पद उपपात-आदि-पद तीर्थ-पद चौथा वर्ग ६९१ उग्र-आदि का निर्गंथ-धर्म-अनुगमन-पद ६९२ बैंगन-आदि गुच्छों में उपपात-आदि-पद । ७०५ नौवां उद्देशक पांचवां वर्ग ७०५ ६९२ श्वेतपुष्प-कटसरैया-आदि गुल्मों में उपपातकरण-पद -आदि-पद दसवां उद्देशक ६९४ छठा वर्ग ७०५ आयुष्य-पद ६९४ तेईसवां शतक (पृ. ७०७,७०८) कति-संचित-आदि-पद पहला वर्ग ওও षट्क-समर्जित-आदि-पद ६९६ संग्रहणी गाथा ওও द्वादश-समर्जित-आदि-पद ६९७ आलुक-आदि जीवों में उपपात-आदि-पद ७०७ चतुरशीति-समर्जित-आदि-पद ६९८ दूसरा वर्ग ওও इक्कीसवां शतक (पृ. ७००-७०३) तीसरा वर्ग ওও पहला वर्ग ७०० चौथा वर्ग ७०८ पहला उद्देशक पांचवां वर्ग ७०८ संग्रहणी गाथा ७०० चौबीसवां शतक (पृ. ७०९-७८०) शालि-आदि जीवों का उपपात आदि-पद। पहला उद्देशक ७०९ दूसरा-दसवां उद्देशक ७०१ संग्रहणी गाथा ७०९ दूसरा वर्ग नैरयिक-आदि में उपपात-आदि के गमक तीसरा वर्ग ७०२ का पद ७०९ चौथा वर्ग ७०२ नरक-अधिकार ७०९ पांचवां वर्ग ७०२ प्रथम आलापक : नैरयिक में असंज्ञी-तिर्यंचछठा वर्ग ७०२ -पंचेन्द्रिय-जीवों का उपपात-आदि ७०९ सातवां वर्ग ७०३ प्रथम नरक में असंज्ञी-तिर्यंच-पंचेन्द्रिय-जीवों आठवां वर्ग ७०३ का उपपात-आदि ७१० बाईसवां शतक (पृ. ७०४-७०६) (पहला गमक : औधिक और औधिक) ७१० पहला वर्ग ७०४ १. उपपात-द्वार पहला उद्देशक ७०४ २. परिमाण-द्वार ७१० ७०० ७०१ ७१०

Loading...

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 ... 590