Book Title: Badmer Jile ke Prachin Jain Shilalekh
Author(s): Jain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
Publisher: Jain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
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________________ बाड़मेर जिले के प्राचीन जैन शिलालेख पैदल 3 किलोमीटर पर भी पड़ता है / यहां एक जैन मन्दिर है जिसका जीर्णोद्धार का काम चल रहा है / श्रीमूलनायकजी श्रीमुनिसुव्रतस्वामीजी हैं। 1. श्रीमूलनायकजी प्रतिमा लेखः सं. 1955 का. कृ. 5 गुरो दिनानन्द समस्त संधेन बिंब कारितं प्रतिष्ठित श्रीराजेन्द्रसूरिभिः प्रतिष्ठा कारिता ।।मु।। जशरूप ............ / 2. दाहिनी प्रतिमा लेखः सं. 1921 शाके 1786 प्र. माघ मासे शुक्ल पक्षे 7 तिथौ गुरुवासरे वृहत्खरतर मरूदेशे आसोतरा ग्राम............श्री नेमिनाथ.........। '3. वाम प्रतिमा लेखः सं. 1955 का. कृ. 5 खुदालावास्तव्य सा. पूनमा सा. ताराचन्द ....... बिंब कारितम प्रतिष्ठित श्रीराजेन्द्रसूरिभिः / / (8) 4. पंच धातु प्रतिमा छोटी:- संवत् 1522 वर्षे वैशाख वदि 1 गुरो श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे. पदमा भार्या कालासन हापा बहुया गोवरा निमित श्रीपादिनाबिंब करापित प्रतिष्ठित श्रीवृहत्गच्छे भटारि. श्रीहेमप्रभसूरिभिः / / 5. पंच धातु प्रतिमा मंझली:' संवत् 1567 वैसाख सुद 10 उकेसवंशे नाहटागोत्रे सा. हापा भार्या साहणदे सुत सा. माझण-परिवारसरीकेण निजपुण्यार्थ श्री. शीतलनाथबिंब कारित: प्रतिष्ठित खरतरगच्छे श्रीजिनहंससूरिभिः प्रजा माना चिरंनदन्नः / . '6. पंच धातु प्रतिमा बड़ी नवीन: श्रीगढसिवानायां वि. सं. 2040 माघ कृष्ण प्रतिपदा तिथौ श्रीपार्श्वनाथजिनबिंब श्रीहरकचन्दजी श्रेयार्थ सुपुत्र पुखराज, धीगड़मल, हस्तीमल मोहनलाल बालड़ तपागच्छीय प्रा. भ. श्रीमद्विजयसोमचन्द्रसूरिश्वराणां शुभनिश्रायां कारितम् ॥शुभ।।