Book Title: Badmer Jile ke Prachin Jain Shilalekh
Author(s): Jain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
Publisher: Jain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth

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Page 85
________________ बाड़मेर-जिले के प्राचीन जैन शिलालेख भट्टारकश्रीजिनसुदर सूरिजी विजयराज्ये पादुका प्रतिष्टितं श्रीमहाराजाधिः राज माहाराज श्रीग्रजीतसिंघजी विजयराज्ये श्रीसिवाणगढ़ महादुर्गेपादुका करापिता / (287) 4. एक ही शिला पर चार पादुका लेखः (i) भट्टारक श्री जिनसमुद्र सूराधिराज पादुका (ii) वा. श्रीसामीदासजी केन पादुका (iii) भवानीदासजीकेन पादुका (iv) प. श्रीदेवीदासजीकेन पादुका (288) 5. पादुका लेखः-- // संवत 1922 रा शाके 1787 वर्षे माघ वदि तिथौ दिन दिसु पांचम बुधवासरे पूर्वाषाढ़ानषत्रे गुरां साहिबजी श्रीश्रीराधाकिशनजी तशिष्य अखेचन्दजो तत् शिष्य ताराचन्द पादुका प्रतिष्ठितं / / श्रीदादाजी जिनकुशलसूरिजी दादावाड़ी ___ (286) 1. पातुका लेख पीत पाषाण:-- // संवत 1661 वर्षे वैसाख सुदि 3 दिने गुरुवारे रोहिनी नक्षत्रे खरतरगछे श्रीजिनकुशलसूरीश्वरांणि पादुका प्रतिष्ठितं / ...... स्थानकवासी धर्मशाला (290) 1. पादुका लेखः- संवत 1608 रा माह सुदि 5 विवेकविजेजी शिष्य विनविजे गुरांसा नौहरविजेजी। श्रीवासुपूज्य भगवान का शिखरबन्द मन्दिर (261) 1. प्रतिष्ठा लेखः- . अस्य नूतन जिनमंदिरस्य निर्माणितं उम्मेदपुरा (गढ़ सिवाना)वास्तव्य समस्तश्रीसंघेन प्रतिष्ठिापितश्च प्रतिष्ठितं श्रीखरतरगच्छीय

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