Book Title: Badmer Jile ke Prachin Jain Shilalekh
Author(s): Jain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
Publisher: Jain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth

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Page 96
________________ बाड़मेर-जिले के प्राचीन जैन शिलालेख [ 77 ___ (344) 2. सुपार्श्वनाथ:मीती बसा. सुद 3 संमत 17 छासटा के रा........प्रणमति (345) ..... 3. शिलापट्ट प्रशस्तिः . श्रीचक्रेश्वरिजीये नमः / / सं. 1661 वर्ष माघ सु. 13 मंदबासरे तिष्य ऋक्षे श्रीमेवानगरे श्रीनाकोड़ा पार्श्वनाथचैत्ये दक्षिणभागे शाल और छत्री अजनशालाका प्रतिष्ठा समये प्रतिष्ठितं पूज्य वयोवृद्धानुयोगाचार्यदेव श्री श्री श्री 108 श्री श्री श्रोहितविजयजी महाराज के पट्टालंकार अनुयोगाचार्य श्री श्री श्रीहिम्मतविजयेन गुरुभक्त्यर्थे कारितं शा. कपूरचन्द हजारीमल भीखचन्द ऋषभदास सोनमल देवीचन्द सरेमल. बाबुलाल गुलाबचन्द सिरदारमल लालचन्द मोहनलाल बेटा पोता हुक्माजी रा की तर्फ से मोटावाड़ा वाला मु. वरद रा उपरोक्त तीर्थोंद्वारिका साध्वीजी सुन्दर श्रीजी के सदुपदेश से स्वश्रेयार्थे कारितं गजधर सोमपुरा सूत्रधार कीस्तुरचन्द दीपचन्द सिरेमल बेटा पोता भगवानजी ।मु। चाणोद। (346) 4. आदिनाथ: सं 1961 माघ शु, 13 दिने श्रीऋषभजिनबिंब कारापितं श्रीसंघेन प्र. जगद्गुरुदेव श्रीमद् विजयहीरसूरिश्वरजी के सन्तानीय अनुयोगाचार्य श्रीहितविजयजी ............ / __ (347) 5. आदिनाथजी:: ॥सं. 1961 रा माघ शुक्ल 13 दिने श्रीऋषभदेवजीबिन कारापितं श्रीसंघेन प्र. 'जगद्गुरुदेव श्रीमद्विजयही रसूरिश्वरजी के . सन्तानिया अनुयोगाचार्य श्रीहितविजयजी मा. के शिष्य पन्यास श्रीहिम्मत- ' विजयेन श्रीमेवानगरे। (348) 6. अजितनाथ:___सं. 1991 माघ शु. 13 दिने श्रीअजितनाथ जिनबिंब कारापितं श्रीसंघेन प्र. जगद्गुरुदेव श्रीमदविजयहीरसूरिश्वरजी के सन्ता नीया अनुयोगाचार्य श्रीहितविजयजी...........

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