Book Title: Badmer Jile ke Prachin Jain Shilalekh
Author(s): Jain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
Publisher: Jain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
View full book text ________________ बाड़मेर-जिले के प्राचीन जैन शिलालेख ... / / . (425) 2. शांतिनाथ: शांति देवलदे 3. सं. 1955 फा. व. 5 सिवाणावास्तव्य समस्तसंघेन बिंब. कारितं..... पुण्डरीक गणधर की देहरी 1. पुण्डरीक गणधर देहरी के सभामण्डप की दीवार का लेख: (427) // 60 // संवत चन्द्रकला पक्ष वृषे मासे श्रीवरिण के तिथौ च विशदे श्रीपचमीवासरे हस्तकि श्रीतपागच्छे हीरविजयपुण्यदयाचार्ये मुदा। 1 प्रासादे विमलनाथे........... कल्पद्र म / रगद्रग विद्रंग चित्रकलित श्रीमण्डपोनूतनः श्रीमत्संघ कदम्बकाय / / 2 / / सवत 1647 वर्षे प्राषाढ़ वदि 8 दिने राउल श्रीवीरमदेवजी पाटे तपागच्छसधेन मण्डप: कारितः // सूत्रधार क्रिसनाकेनकृतः / / चेला शिवा लिखितौं / सूत्रधार सीमा पंचाईण / / शुभं भवतुः।। (428) 2. पुण्डरीकगणधर के पीछे की चौकी: संवत 1637 वर्षे शाके 1533 प्रवर्तमाने द्वितीय भाषाढ़ सुदि 6 दिने शुक्रवारे उत्तराफाल्गुनीनक्षत्रे राउल श्रीतेजसीजी विजयराज्ये श्रीविमल. नाथप्रासादे श्रीतपागच्छेभट्टारिक श्री ५श्रीविजयसेनसूरिविजयराज्ये आचार्य श्रीविजयदेवसूरिविजयराज्ये श्रीवीरमपुरवासि सकलश्रीसंघकारापितां शुभं भवतु / / " सूत्रधार कृसना पंचाइण केन कृतं / मुनिसामीदास लिखितं भवतु / / (429) / 3. पुण्डरीक 'गणघर की देहरी भीतर की दीवार का लेखः-- / संवत 1865 वर्षे फागुण वदि 13 रविवारे श्रीवृहत्खरतरगच्छे जंगन युगप्रधान सकल भट्टारिकशिरोमणि भट्टारिकजी श्रीश्री १०८श्रीजिनहरकसूरिजी
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