Book Title: Badmer Jile ke Prachin Jain Shilalekh
Author(s): Jain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
Publisher: Jain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth

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Page 118
________________ बाड़मेर जिले के प्राचीन जैन शिलालेख / अर्हतन्तमहत गतातन्तलतान्त भक्त्या / श्रीशान्तिनामकमनन्तनितान्ति भक्त्या। श्री विश्वसेनतनुज भजतात्मशक्या / सारंगलक्षण जिन स्मरतोक्त.युक्त्या // 2 // यस्यातीत भवेऽप्कारि महता शकस्तवामर्षि श्येनाकारभता कपोत तनुभृद रक्षापरिक्षाहत : भोक्ता यौगिक थोयिचक्रीपादवी साम्राज्यश्रियः / स श्रीशान्तिजिनोऽस्तु धार्मिकनृणां दातात्म सम्पच्छियः / / 3 // _ श्रीशान्तिदेवीऽवतु देवदेवौ धर्मोपदिष्टा मुदयायिसेवः / नन्तास्ति यस्यादिमवर्णनामा राज्योपमास्तस्य सुभक्तिनामा // 4 // श्रीधनराजोपाध्यायानामुपदेशेन पण्डित मुनिमेरू लिखितं / / सूत्रधार जोधा रंगा गदा नरसिंगकेन कोरितानि काव्यानि चतुष्किका मूल मण्डपे / / शुभ भूयात् // राउल श्रीमेघराजविजयराज्ये श्रीशान्तिनाथ नालिमण्डपो निष्पन्नतः / / (472) 7. शिलापट्ट प्रशस्ति: / ई० / / ॐ नमः सिद्ध। अप्रा इ ई उ ऊ ऋ ऋ ल ल ए ऐ ओ औ अं अः क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ / ट ठ ड ढ ण त थ द ध न / प फ ब भ म / य र ल व श ष स ह क्ष त्र ज्ञ। मंगलमहेसरी देहि विद्या परमेसरी / / सूत्रधार अजाम ....... भिन्नाक्षरों में........ / / सं. 1638 वर्षे असाढ़ सुदि 8 दिने गुरुवारे श्रीसमस्तसंघेन उधार कारापिता शुभं भवतु / . 9 (473) 8. युगप्रधान जिन चन्द्रसूरि-पादुका: // संवत 1684 वर्षे / वैसाख सुदि 8 / गुरौ। श्रीवृहतखरतराधीश युगप्रधान युगप्रधान श्रीजिनचन्द्रसूरिश्वराणां पादुके। कारिते / कां / राघव / चांदा। सुरताण / जसवंत / कमलसी। भ्रातृव्य राजसीसहितः / भट्टारकःश्रीजिन राजसूरि विजयराज्ये। आ. श्रीजिनसागरसरि योवगज्ये / प्र. श्रीधर्मनिधान महोपाध्यायेः / श्रीवीरमपूर सकलसंघस्य शं स्यात / प्रणमति / वि. धर्मकीति गरणी: / सूत्रधार मेघाकेन / / (474) 6. पद्मप्रभुः-: ॥स. 1880 / व / मार्ग सुदि 5 गुरौ / भ. श्री विजय जिनेन्द्रसूरिभिः पद्मप्रभदेवबिंब प्रतिष्ठित / श्रीवडगाम ना समस्तसंघ .......

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