Book Title: Badmer Jile ke Prachin Jain Shilalekh
Author(s): Jain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
Publisher: Jain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth

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Page 123
________________ 104 ] बाड़मेर-जिले के प्राचीन जैन शिलालेख श्रीमद् विजयही रसूरिश्वर सन्तानीय हिनान्तेवासी विजय श्री हिमाचलसूरिभिः श्रीरस्तु लि. पन्यास श्रीविद्यानन्द विजय / श्रीदादाजी को टूक 1. जिनकुशलसूरि-पादुका:-- जंगम युगप्रधान भट्टारक छोटादादा साहेब श्रीजिनकुशलसूरिजी वि.सं. 1330 सिवाणा गांव में छाजेड़ गोत्रनामंत्री जिल्हागार की धर्म पत्नि माता जयतश्री की कूख से जन्म, व सं. 1347 में श्रीजिनचन्द्रसूरीश्वरजी के पास दिक्षा, व सं. 1366 अहिलपुर पाटण में प्राचार्य पद, सं. 1386 माह वदि-- देरा. स. ... श्रीजिनदत्तसूरि दादावाड़ी ((467) 1. जिनदत्तसूरि-पादुका:-- स 2000 वर्षे वैसाखशुक्ला. 6 श्रीगढ़सिवाना उम्मेदपुरा श्रीसघन जं. (यु.) दादा श्रीजिनदत्तसूरीश्वराणां चरणपादुके कारित खरतरगच्छाधीश्वर श्रीजिनजयसागरसूरि नेतृत्वे पं. यति नेमिचन्द्रेण। (468) 2. जिनदत्तसूरि-पादुका:-- ॐ ह्रीं श्रीं दादाजी श्री जिनदत्तसूरिजीगुरुभ्यो नमः (466) 3. मणिधारी जिनचन्द्र सूरि पादुका.-- .: ॐ ह्रीं श्री दादाजी श्रीमणिधारीजी जिनचन्द्रसूरिजीगुरुभ्यो नमः (500) 4. जिनकुशलसूराि-पादुका. ॐ ह्रीं श्रीं दादाजी श्रीजिनचन्द्रसूरिजीगुरुभ्यो नमः / 5. जिनचन्द्रसूरि पादुका:-- .... .. ॐ ह्रीं श्री दादाजी श्रीजिनचन्द्रसूरिजी गुरुभ्योनमः- . ..

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