Book Title: Badmer Jile ke Prachin Jain Shilalekh
Author(s): Jain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
Publisher: Jain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
View full book text ________________ बाड़मेर जिले के प्राचीन जैन शिलालेख [ 105 + कोतिरत्न सूरि-स्तूप के लेख (502) . 1. स्तूप के खण्डित छज्जे परः-- रतिपति नरपति चरणं....सुमयनमचय परिचय हरणं (503) 2. स्तूप के पीताम परः- // 60 // श्रीसूरिमन्त्राहत विघ्नराजा श्रीकीत्तिरतनामिघ्तसूरि राजा श्रीसंघ संजोन्नति हेतु राजा श्री........ (504) 3. स्तूप की चौखट पर:-- // 60 / / श्रीमतश्रीजिनभद्रसूरिगणमृतपाण्याम्बूजाप्तोदया। धन्याचार्य पदावदात वदिताः श्रीकीतिरत्नाहुयाः। नम्नानम्रशिरत शिरोमणिविभा प्रोदभौसिलाहिर्दया / .. राजानन्दकरा जयन्तु विलसत्त श्रीशंखघालान्वया / 4. षोदशदल कमल गभित चित्र काव्य:-- सुरंसारं चरं स्वरं वारं कारं निरन्तरम् / सार सौरतरं स्मर हर शर ज्वर चरम् / / . . प 5. स्वस्तिक पर चित्रकाव्यः-. . मभास्वरगवनद दमि कीतिराजः . मदे प्रस्तरबदं दम कीतिराजः - म--श्रुतपदं दमिता मिताक्षः मद मानंति....घरोक्ष:-- ज्ञानं नं सुतं पुनं सुनं चनं यनं डनं धन स्नान चन वीनं मेम-नमनं स्वनम् / 6. षोडसदल कमलगभित काव्यः-- हारं हीर तिरस्कारं वैरं वार हरं स्वरम् / र पुर ... र स्मेरं स्मर सूर धुर धुरम // .. AN . . .. .
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