Book Title: Badmer Jile ke Prachin Jain Shilalekh
Author(s): Jain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
Publisher: Jain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth

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Page 112
________________ बाड़मेर जिले के प्राचीन जैन शिलालेख - 3. सुमतिनाथ: // सं. 1955 फागुण वद 5. गुरौ अगवरीनगरवास्तव्य प्राग्वाटज्ञा / व / केरा सूतो राजा बनाकेन विबकारितं प्रतिष्टितं भ. राजेन्द्रसूरिभिः प्र. का जशरूप जीतमलेन सुधर्म तपागच्छे पाहोरनगरे। .. .. . (437) . . . 4. चन्द्रप्रभ: सं. 1655 व. / फाल्गुन कृष्ण 5 गुरौ अगवरीनगरवास्तव्य प्राग्वाटज्ञा। व. सा केरा सुतो राजा वनाकेन बिंबकारितं प्र. भ. राजेन्द्रसूरिणा प्रति. कारापिता जशरूप-जीतमलाभ्यां सुधर्म तपागच्छे प्राहोर. नगरे: (438) 5. मल्लिनाथ: // सं. 1955 व. / फाल्गुन कृष्ण 5 मुरौ अगवरीवास्तव्य प्राग्वाटज्ञा / वृ / सा केरा सुतो राजा बनाकेन बिंबकारितं प्रतिष्ठितं / राजेन्द्रसूरिणा प्रति. कारापिता जशरूप जीतमलाभ्यां सुधर्म तपागच्छे पाहोर नगरे / (439) 6. पार्श्वनाथ-पादुका: ॥संवत 1966 माघशुक्ला 10 श्रीमंडवारीयावास्तव्य सा. खमा सूत जेठा-डाहा-विनयचन्द्र कारापितांजनशलाका महो. जोधपुरनिवासी प्रोसवंशीय टाटीया सूत सिरदारमल माणकचंदेन- श्रीपार्श्वनाथ-पादुकांजनशलाकासह : प्रतिष्ठा कारापिता कृता श्री श्री 1008 श्रीमदविजयराजेन्द्रसूरीश्वर शिष्य भ. श्रीधनचन्द्रसूरिभिः श्रीसौधर्म वृहत्तपागच्छे श्रेयते भवतु / श्री। .... (440) 7. पाश्वनाथ:सं. 1661 मा. शु. 13 दि. पार्श्वबि. का....... (441) 5. ब्रह्मयक्ष: ॐ नमः सं. 2003 रा फाल्गुन कृष्ण 7 बुधे .......

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