Book Title: Badmer Jile ke Prachin Jain Shilalekh
Author(s): Jain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
Publisher: Jain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth

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Page 115
________________ बाड़मेर-जिले के प्राचीन जैन शिलालेख .... (455) 22. पार्श्वनाथ :-- ॥सं. 2016 मा. सु. 14 गुरुपुष्ययोगे श्रीपार्श्वनाथ बिम्ब वानगरस्थ नाकोड़ातीर्थे श्रीजैनश्वेताम्बरसधेन कारापित प्रतिष्ठितं. बिजयहिमाचलसूरिभिः चौमुखजी की देहरी की प्रालमारी (456) 1. पार्श्वनाथ पंचतीर्थी: संवत 1316 वर्षे माघ वदि 3. गुरौ श्रीयशोभद्रसूरि-सन्तान ऊदा पु. बोसरि वस्ता भ्रा. कुरासहितेन श्रीपार्श्वनाथबिंब प्रतिष्ठितं श्रीशालिभद्रसूरिभिः ॐ री (457) 2. महावीर पंचतीर्थी: संवत 1321 वर्षे माघ वदि 5 बुधे श्रे. अरपाल भार्या पदमसिरि पु. जसकर्णं प्राणचन्द्रेण मातृ-पितृ-श्रेयोर्थ श्रीमहावीरबिंव कारितं प्र. सूरिभिः॥ (458) 3. महावीर पंचतीर्थी:' संवत 1346 वर्षे वैशाख सु 5 श्रे. सहदेव भा. साजणि पू. महरणसिंह पुत्र गज भा. सापू. तिरिणकाया श्रीमहावीरबिंब प्र. श्री त्रि. जयप्रभसूरिभिः (456) 4. संभवनाथ पंचतीर्थी: संवत 1464 वर्षे फागुण वदि 11 गुरौ उ. व्यव. कडूमा भा. कपूरदे पुत्र वीरम भा. विजलदे पित्रोः श्रेयसे श्रीसंभवनाथबिंब कारितं वो. प्रतिष्टितं श्रीधर्मचन्द्रसूरिभिः . . (460) 5. चन्द्रप्रभ पंचतीर्थी: सं. 1506 वर्षे वे. सुदि 7 रवी श्रीश्रीमालज्ञातोय श्रेष्ठि हेमा भार्या मेचु सुत वीराकेन स्वपितृव्य श्रेष्ठि गेला पुण्यश्रेयोर्थ श्रीचन्द्रप्रभस्वामिबिंब कारित प्रतिष्ठित श्रीसूरिभिः / / बड़ालम्बीवास्तव्य /

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